कुटिलन संग रहीम कहि साधू बचते नाहिं
पीछे1. कुटिलन संग रहीम कहि साधू बचते नाहिं।
ज्यों नैना सैना करें उरज उमेठे जाहिं।।
2. आप न काहू काम के डार पात फल फूल।
औरन को रोकत फिरैं रहिमन पेड़ बबूल।।
3. कदली सीप भुजंग-मुख स्वाति एक गुन तीन।
जैसी संगति बैठिए तैसोई फल दीन।।
4. कहु रहीम कैसे निभै बेर केर को संग।
वे डोलत रस आपने उनके फाटत अंग।।
5. रहिमन उजली प्रकृत को नहीं नीच को संग।
करिया बासन कर गहे कालिख लागत अंग।।