दसन-बसन ओली भरियै रहै गुलाल

पीछे

दसन-बसन ओली भरियै रहै गुलाल,
     हँसनि-लसनि त्यौं कपूर सरस्यौ करै।
साँसनि सुगंध सोंधे कोरिक समोय धरे,
     अंग-अंग रूप रंग रस बरस्यो करै।
जान प्यारी तो अनँदघन-हित नित,
     अमित सुहाग-राग फाग दरस्यौ करै।
इतै पै नवेली लाज अरस्यौ करै जु, प्यारो,
     मन फगुवा दै गारी हूँ कौं तरस्यौ करै।। 

पुस्तक | घनानंद कवित्त कवि | घनानंद भाषा | ब्रजभाषा रचनाशैली | मुक्तक छंद | घनाक्षरी