जल की न घट भरैं मग की न पग धरैं
पीछेजल की न घट भरैं मग की न पग धरैं
घर की न कछु करैं बैठी भरैं साँसु री।
एकै पुनि लोट गई एकै लोट-पोट भई
एकनि के दृगन निकसि आये आँसु री।
कहै रसनायक सो ब्रज बनितानि विधि
बधिक कहाये हाय हुई कुल हाँसुरी।
करिये उपाय बाँस डारिये कटाय
नाहिं उपजैगो बाँस नाहिं बाजै फेरि बाँसुरी।।