काव्यांश (विषय - कृष्ण भक्ति)

अँखियाँ हरि दरसन की भूखी

अँखियाँ हरि दरसन की भूखी।
कैसे रहैं रूपरसराची…

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अति मलीन बृषभानुकुमारी

अति मलीन बृषभानुकुमारी।
हरि स्रमजल अंतर तनु…

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अधर धरत हरि कैं

1.    अधर धरत हरि कैं, परत ओठ-डीठि-पट-जोति। Read More

अन्त तें न आयो याही गाँवरे को जायो

अन्त तें न आयो याही गाँवरे को जायो,
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आई खेलि होरी ब्रजगोरी वा किसोरी संग

आई खेलि होरी ब्रजगोरी वा किसोरी संग
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आई हौ आज नई ब्रज में कछु नैन नचाइ कैं रार मचैहौ

आई हौ आज नई ब्रज में कछु नैन नचाइ कैं रार मचैहौ। Read More

आए जोग सिखावन पाँड़े

आए जोग सिखावन पाँड़े।
परमारथी पुराननि लादे…

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आज भटू इक गोपवधू

आज भटू इक गोपवधू भई बावरी नेकु न अंग सम्हारै। Read More

आयो घोष बड़ो व्यापारी

आयो घोष बड़ो व्यापारी।
लाद खेंप गुन ज्ञान जोग…

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आवत हौ रस के चसके तुम जानत हौ रस होत कहा हो

आवत हौ रस के चसके तुम जानत हौ रस होत कहा हो। Read More

उद्धव ! बेगिही ब्रज जाहु

उद्धव ! बेगिही ब्रज जाहु।
सुरति सँदेस सुनाय…

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उद्धव मन अभिलाष बढ़ायो

उद्धव मन अभिलाष बढ़ायो।
जदुपति जोग जानि जिय…

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उपमा एक न नैन गही

उपमा एक न नैन गही।
कबिजन कहत चलि आए सुधि करि…

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उर में माखनचार गड़े

उर में माखनचार गड़े।
अब कैसहु निकसत नहिं, ऊधो!…

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ऊधो!  मन माने की बात

ऊधो!  मन माने की बात।
जरत पतंग दीप में…

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ऊधो! अब यह समुझ भई

ऊधो! अब यह समुझ भई।
नँदनंदन के अंग अंग प्रति…

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ऊधो! इतनी कहियो जाय

ऊधो! इतनी कहियो जाय।
अति कृसगात भई हैं तुम…

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ऊधो! क्यों राखै ये नैन

ऊधो! क्यों राखै ये नैन ?
सुमिरि सुमिरि गुन…

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ऊधो! जाहु तुम्है हम जानै

ऊधो! जाहु तुम्है हम जानै।
स्याम तुम्है ह्याँ…

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ऊधो! जुवतिन ओर निहारौ

ऊधो! जुवतिन ओर निहारौ।
तब यह जोग मोट हम आगे…

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ऊधो! जोग बिसरि जनि जाहु

ऊधो! जोग बिसरि जनि जाहु।
बाँधहु गाँठि कहूँ…

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ऊधो! जोग सुन्यो हम दुर्लभ

ऊधो! जोग सुन्यो हम दुर्लभ।
आपु कहत हम सुनत…

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ऊधो! तुम अति चतुर सुजान

ऊधो! तुम अति चतुर सुजान।
जेहि पहिले रँग रँगी…

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ऊधो! तुम हौ अति बड़भागी

ऊधो! तुम हौ अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा…

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ऊधो! ना हम बिरही, ना तुम दास

ऊधो! ना हम बिरही, ना तुम दास।
कहत सुनत घट…

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ऊधो! प्रीति न मरन बिचारै

ऊधो! प्रीति न मरन बिचारै।
प्रीति पतंग जरै…

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ऊधो! ब्रज की दसा बिचारो

ऊधो! ब्रज की दसा बिचारो।
ता पाछे यह सिद्धि…

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ऊधो! ब्रज में पैठ करी

ऊधो! ब्रज में पैठ करी।
यह निर्गुन गाँठरी अब…

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ऊधो! भली करी तुम आए

ऊधो! भली करी तुम आए।
ये बातें कहि कहि या दुख…

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ऊधो! मन नहिं हाथ हमारे

ऊधो! मन नहिं हाथ हमारे।
रथ चढ़ाय हरि संग गए…

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ऊधो! हम अजान मति भोरी

ऊधो! हम अजान मति भोरी।
जानति है ते जोग की…

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ऊधो! हम आजु भई बड़ भागी

ऊधो! हम आजु भई बड़ भागी।
जैसे सुमन गंध लै आवतु…

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एरी आजु काल्हि सब लोक लाज त्यागि दोऊ

एरी आजु काल्हि सब लोक लाज त्यागि दोऊ
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एरी कहा बृषभानपुरा की तौ दान दियें बिन जान न पैहौ

एरी कहा बृषभानपुरा की तौ दान दियें बिन जान न पैहौ। Read More

ऐसी बात कहौ जनि ऊधो

ऐसी बात कहौ जनि ऊधो!
ज्यो त्रिदोष उपजे जक…

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ऐसेई जन दूत कहावत

ऐसेई जन दूत कहावत।
मोको एक अचंभो आवत यामें…

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कबहुँ सुधि करत गोपाल हमारी

कबहुँ सुधि करत गोपाल हमारी।
पूछत नंद पिता…

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करौ कुबत जगु

1.    भृकुटी-मटकनि, पीतपट-चटक, लटकती…

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कल कानन कुण्डल मोरपखा

कल कानन कुण्डल मोरपखा उर पैं बनमाल बिराजति है। Read More

कहा रसखानि सुखसंपति सुमार कहा

कहा रसखानि सुखसंपति सुमार कहा,
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कहाँ लगि मानिए अपनी चूक

कहाँ लगि मानिए अपनी चूक।
बिन गोपाल, ऊधो, मेरी…

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कहिबे जोय न कछु सक राखो

कहिबे जोय न कछु सक राखो।
लावा मेलि दए हैं…

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कहियो नंद कठोर भए

कहियो नंद कठोर भए।
हम दोउ बीरैं डारि परघरै…

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कहौ लौ कीजै बहुत बड़ाई

कहौ लौ कीजै बहुत बड़ाई।
अतिहि अगाध अपार अगोचर…

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कानन दै अँगुरी रहिबो

कानन दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मन्द बजैहै। Read More

कान्ह भए बस बाँसुरी के

कान्ह भए बस बाँसुरी के अब कौन सखी हमकों चहिहै। Read More

काहे को रोकत मारग सूधो

काहे को रोकत मारग सूधो ?
सुनहु मधुप ! निर्गुन…

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कोउ ब्रज बाँचत नाहिंन पाती

कोउ ब्रज बाँचत नाहिंन पाती।
कत लिखि लिखि पठवत…

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कोऊ आवत है तन स्याम

कोऊ आवत है तन स्याम।
वैसेइ पट, वैसिय रथ बैठनि,…

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कौन ठगौरी भरी हरि आजु

कौन ठगौरी भरी हरि आजु बजाई है बाँसुरिया रंग भीनी। Read More

कौन भाँति रहिहै बिरदु

1.    निज करनी सकुचेहिं कत सकुचावत…

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खंजन नैन फँसे पिंजरा

खंजन नैन फँसे पिंजरा छवि नाहि रहै थिर कैसहूँ माई। Read More

खेलत फाग सुहाग भरी

खेलत फाग सुहाग भरी अनुरागहिं लालन कों धरि कै। Read More

गारी के देवैया बनवारी तुम कहौ कौन

गारी के देवैया बनवारी तुम कहौ कौन
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गोकुल को ग्वाल काल्हि चौमुँह की ग्वालिन सौं

गोकुल को ग्वाल काल्हि चौमुँह की ग्वालिन सौं Read More

गोकुल सबै गोपाल उपासी

गोकुल सबै गोपाल उपासी।
जोग अंग साधत जे ऊधो…

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गोरज बिराजै भाल लहलही बनमाल

गोरज बिराजै भाल लहलही बनमाल
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चिरजीवौ जोरी

1.    प्रलय-करन बरषन लगे जुरि जलधर…

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छछिया भरि छाछ पै नाच नचावत

गावैं गुनी गनिका गन्धर्ब औ सारद सेस सबै गुन गावत। Read More

छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं

सेस गनेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरन्तर गावैं। Read More

छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं

शंकर से सुर जाहि भजैं चतुरानन ध्यान में धर्म बढ़ावैं। Read More

छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं

लाय समाधि रहे बरम्हादिक जोगी भये पर अन्त न पावैं। Read More

छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं

गुंज गरें सिर मोरपखा अरु चाल गयंद की मो मन भावै। Read More

छूट्यौ गृह काज लोक लाज मनमोहन कै

छूट्यौ गृह काज लोक लाज मनमोहन कै
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जल की न घट भरैं मग की न पग धरैं

जल की न घट भरैं मग की न पग धरैं
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जा दिन तें निरख्यो नन्दनन्दन

जा दिन तें निरख्यो नन्दनन्दन कानि तजी घर बन्धन…

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जा दिन तें वह नन्द को छोहरो

जा दिन तें वह नन्द को छोहरो या बन धेनु चराइ गयो…

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जीवन मुँहचाही को नीको

जीवन मुँहचाही को नीको।
दरस परस दिनरात करति…

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जोग ठगौरी ब्रज न बिकैहै

जोग ठगौरी ब्रज न बिकैहै।
यह ब्योपार तिहारो…

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जोहौं मैं तिहारी ओर नन्दगाँव के किसोर

जोहौं मैं तिहारी ओर नन्दगाँव के किसोर
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तबहि उपँगसुत आय गए

तबहि उपँगसुत आय गए।
सखा सखा कछु अंतर नाहीं…

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तिहारी प्रीति किधौं तरवारि

तिहारी प्रीति किधौं तरवारि ?
दृष्टिधार करि…

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तेरो बुरो न कोऊ मानै

तेरो बुरो न कोऊ मानै।
रस की बात मधुप नीरस,…

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तैं रहीम मन आपुनो, कीन्हों चारु चकोर

1.    तैं रहीम मन आपुनो, कीन्हों…

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तोहूँ पहिचानौं बृषभान हूँ को जानौं नेकु

तोहूँ पहिचानौं बृषभान हूँ को जानौं नेकु
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तौ हम मानैं बात तुम्हारी

तौ हम मानैं बात तुम्हारी।
अपनो ब्रह्म दिखावहु…

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दान पै न कान सुने लैहों सो गुमान भंजि

दान पै न कान सुने लैहों सो गुमान भंजि
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धूर भरे अति शोभित स्याम जू

धूर भरे अति शोभित स्याम जू तैसी बनी सिर सुन्दर…

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नन्द की न दासी हम जातिहू मैं नाही कम

नन्द की न दासी हम जातिहू मैं नाही कम
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नयननि वहै रूप जौ देख्यो

नयननि वहै रूप जौ देख्यो।
तौ ऊधो यह जीवन जग…

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नाहिं न रह्यो मन में ठौर

नाहिं न रह्यो मन में ठौर।
नंदनंदन अछत कैसे…

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निरखत अंक स्यामसुंदर के बार बार लावति छाती

निरखत अंक स्यामसुंदर के बार बार लावति छाती। Read More

निर्गुन कौन देस को वासी

निर्गुन कौन देस को वासी ?
मधुकर ! हँसि समुझाय,…

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नीके रहियो जसुमति मैया

नीके रहियो जसुमति मैया।
आवैंगे दिन चारि पाँच…

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नैन लख्यो जब कुंजन तें

नैन लख्यो जब कुंजन तें वन तें निकस्यो अँटक्यो मटक्यो…

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नौ लख गाय सुनी हम नन्द के तापर दूध दही न अघाने

नौ लख गाय सुनी हम नन्द के तापर दूध दही न अघाने। Read More

पथिक ! सँदेसो कहियो जाय

पथिक ! सँदेसो कहियो जाय।
आवैंगे हम दोनों भैया,…

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पाती सखि! मधुबन तें आई

पाती सखि! मधुबन तें आई।
ऊधो हाथ स्याम लिखि…

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फागुन लाग्यो सखी जब तें

फागुन लाग्यो सखी जब तें तब तें ब्रजमंडल धूम मच्यो…

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फिरि फिरि कहा सिखावत मौन

फिरि फिरि कहा सिखावत मौन।
दुसह वचन अलि यों…

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बंक बिलोकनि है दुखमोचन

बंक बिलोकनि है दुखमोचन दीरघ लोचन रंग भरे हैं। Read More

बजी है बजी रसखानि बजी

बजी है बजी रसखानि बजी सुनिकै अब गोपकुमारि न जीहै। Read More

बरु वै कुब्जा भलो कियो

बरु वै कुब्जा भलो कियो।
सुनि सुनि समाचार ऊधो…

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बिन गोपाल बैरिन भई कुंजैं

बिन गोपाल बैरिन भई कुंजैं।
तब ये लता लगति…

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बिलग जनि मानहु, ऊधो प्यारे

बिलग जनि मानहु, ऊधो प्यारे।
वह मथुरा काजर…

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ब्याही अनब्याही ब्रजमाहीं सब चाही तासों

ब्याही अनब्याही ब्रजमाहीं सब चाही तासों
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ब्रजनन सकल स्याम ब्रतधारी

ब्रजनन सकल स्याम ब्रतधारी।
बिन गोपाल और नहिं…

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भौंह भरी बरुनी सुथरी

भौंह भरी बरुनी सुथरी अतिसै अधरानि रंगी रंग रातौ। Read More

मकराकृत कुंडल गुंज की माल

मकराकृत कुंडल गुंज की माल वे लाल लसैं पग पाँवरिया। Read More

मधुकर! ये नयना पै हारे

मधुकर! ये नयना पै हारे।
निरखि निरखि मग कमलनयन…

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मधुकर! ल्याए जोग सँदेसो

मधुकर! ल्याए जोग सँदेसो।
भली स्याम कुसलात…

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मधुकर! हम न होहि वे बेली

मधुकर! हम न होहि वे बेली।
जिनको तुम तजि भजत…

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मानुष हौं तो वही रसखानि

मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के…

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मेरी भव-बाधा हरौ

1.    मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि…

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मेरो को करै नियाब हौं तो तीनि लोक राव

मेरो को करै नियाब हौं तो तीनि लोक राव
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मैन मनोहर बैन बजै

मैन मनोहर बैन बजै सु सजे तन सोहत पीत पटा है। Read More

मो मन मानिक लै गयो

1.    मो मन मानिक लै गयो, चितै चोर…

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या लकुटी अरु कामरिया

या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं। Read More

लरिकाई को प्रेम, कहो अलि

लरिकाई को प्रेम, कहो अलि, कैसे करिकै छूटत।
कहा…

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लोक की लाज तजी तबहीं

लोक की लाज तजी तबहीं जब देख्यो सखी ब्रजचन्द सलोनो। Read More

वा मुसकान पै प्रान दियो

वा मुसकान पै प्रान दियो जिय जान दियो वह तान पै…

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सँदेसनि मधुबन कूप भरे

सँदेसनि मधुबन कूप भरे।
जे कोउ पथिक गए हैं…

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संभु धरै ध्यान जाको जपत जहान सब

संभु धरै ध्यान जाको जपत जहान सब
   …

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सीस-मुकुट, कटि-काछनी

1.    नाह गरजि नाहर-गरज, बोलु…

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सुनिकै यह बात हियें गुनि कै तब बोलि उठि बृषभान-लली

सुनिकै यह बात हियें गुनि कै तब बोलि उठि बृषभान-लली। Read More

सुनियो एक सँदेसो ऊधो तुम गोकुल को जात

सुनियो एक सँदेसो ऊधो तुम गोकुल को जात।
ता…

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सेस सुरेस दिनेस गनेस

सेस सुरेस दिनेस गनेस प्रजेस धनेस महेस मनाओ। Read More

सोहत है चँदवा सिर मौर

सोहत है चँदवा सिर मौर के जैसियै सुन्दर पाग कसी…

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हम तो कान्ह केलि की भूखी

हम तो कान्ह केलि की भूखी।
कैसे निरगुन सुनहि…

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हम तो नंदघोष की बासी

हम तो नंदघोष की बासी।
नाम गोपाल जाति कुल गोपहि,…

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हमको हरि की कथा सुनाव

हमको हरि की कथा सुनाव।
अपनी ज्ञानकथा हो, ऊधो…

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हमसों कहत कौन की बातें ?

हमसों कहत कौन की बातें ?
सुनि ऊधो ! हम समुझत…

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हमारे हरि हारिल की लकरी

हमारे हरि हारिल की लकरी।
मन बच क्रम नँदनंदन…

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हरि काहे के अंतर्जामी

हरि काहे के अंतर्जामी ?
जौ हरि मिलत नाहिं…

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हरि सों भलो सो पति सीता को

हरि सों भलो सो पति सीता को।
बन बन खोजत फिरत…

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हरिमुख निरखि निमुख बिसारे

हरिमुख निरखि निमुख बिसारे।
ता दिन तें मनो…

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