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अँखियाँ हरि दरसन की भूखी।कैसे रहैं रूपरसराची…
अति मलीन बृषभानुकुमारी।हरि स्रमजल अंतर तनु…
1. अधर धरत हरि कैं, परत ओठ-डीठि-पट-जोति। Read More
अन्त तें न आयो याही गाँवरे को जायो, …
आई खेलि होरी ब्रजगोरी वा किसोरी संग …
आई हौ आज नई ब्रज में कछु नैन नचाइ कैं रार मचैहौ। Read More
आए जोग सिखावन पाँड़े।परमारथी पुराननि लादे…
आज भटू इक गोपवधू भई बावरी नेकु न अंग सम्हारै। Read More
आयो घोष बड़ो व्यापारी।लाद खेंप गुन ज्ञान जोग…
आवत हौ रस के चसके तुम जानत हौ रस होत कहा हो। Read More
उद्धव ! बेगिही ब्रज जाहु।सुरति सँदेस सुनाय…
उद्धव मन अभिलाष बढ़ायो।जदुपति जोग जानि जिय…
उपमा एक न नैन गही।कबिजन कहत चलि आए सुधि करि…
उर में माखनचार गड़े।अब कैसहु निकसत नहिं, ऊधो!…
ऊधो! मन माने की बात।जरत पतंग दीप में…
ऊधो! अब यह समुझ भई।नँदनंदन के अंग अंग प्रति…
ऊधो! इतनी कहियो जाय।अति कृसगात भई हैं तुम…
ऊधो! क्यों राखै ये नैन ?सुमिरि सुमिरि गुन…
ऊधो! जाहु तुम्है हम जानै।स्याम तुम्है ह्याँ…
ऊधो! जुवतिन ओर निहारौ।तब यह जोग मोट हम आगे…
ऊधो! जोग बिसरि जनि जाहु।बाँधहु गाँठि कहूँ…
ऊधो! जोग सुन्यो हम दुर्लभ।आपु कहत हम सुनत…
ऊधो! तुम अति चतुर सुजान।जेहि पहिले रँग रँगी…
ऊधो! तुम हौ अति बड़भागी।अपरस रहत सनेह तगा…
ऊधो! ना हम बिरही, ना तुम दास।कहत सुनत घट…
ऊधो! प्रीति न मरन बिचारै।प्रीति पतंग जरै…
ऊधो! ब्रज की दसा बिचारो।ता पाछे यह सिद्धि…
ऊधो! ब्रज में पैठ करी।यह निर्गुन गाँठरी अब…
ऊधो! भली करी तुम आए।ये बातें कहि कहि या दुख…
ऊधो! मन नहिं हाथ हमारे।रथ चढ़ाय हरि संग गए…
ऊधो! हम अजान मति भोरी।जानति है ते जोग की…
ऊधो! हम आजु भई बड़ भागी।जैसे सुमन गंध लै आवतु…
एरी आजु काल्हि सब लोक लाज त्यागि दोऊ …
एरी कहा बृषभानपुरा की तौ दान दियें बिन जान न पैहौ। Read More
ऐसी बात कहौ जनि ऊधो!ज्यो त्रिदोष उपजे जक…
ऐसेई जन दूत कहावत।मोको एक अचंभो आवत यामें…
कबहुँ सुधि करत गोपाल हमारी।पूछत नंद पिता…
1. भृकुटी-मटकनि, पीतपट-चटक, लटकती…
कल कानन कुण्डल मोरपखा उर पैं बनमाल बिराजति है। Read More
कहा रसखानि सुखसंपति सुमार कहा, …
कहाँ लगि मानिए अपनी चूक।बिन गोपाल, ऊधो, मेरी…
कहिबे जोय न कछु सक राखो।लावा मेलि दए हैं…
कहियो नंद कठोर भए।हम दोउ बीरैं डारि परघरै…
कहौ लौ कीजै बहुत बड़ाई।अतिहि अगाध अपार अगोचर…
कानन दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मन्द बजैहै। Read More
कान्ह भए बस बाँसुरी के अब कौन सखी हमकों चहिहै। Read More
काहे को रोकत मारग सूधो ?सुनहु मधुप ! निर्गुन…
कोउ ब्रज बाँचत नाहिंन पाती।कत लिखि लिखि पठवत…
कोऊ आवत है तन स्याम।वैसेइ पट, वैसिय रथ बैठनि,…
कौन ठगौरी भरी हरि आजु बजाई है बाँसुरिया रंग भीनी। Read More
1. निज करनी सकुचेहिं कत सकुचावत…
खंजन नैन फँसे पिंजरा छवि नाहि रहै थिर कैसहूँ माई। Read More
खेलत फाग सुहाग भरी अनुरागहिं लालन कों धरि कै। Read More
गारी के देवैया बनवारी तुम कहौ कौन …
गोकुल को ग्वाल काल्हि चौमुँह की ग्वालिन सौं Read More
गोकुल सबै गोपाल उपासी।जोग अंग साधत जे ऊधो…
गोरज बिराजै भाल लहलही बनमाल …
1. प्रलय-करन बरषन लगे जुरि जलधर…
गावैं गुनी गनिका गन्धर्ब औ सारद सेस सबै गुन गावत। Read More
सेस गनेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरन्तर गावैं। Read More
शंकर से सुर जाहि भजैं चतुरानन ध्यान में धर्म बढ़ावैं। Read More
लाय समाधि रहे बरम्हादिक जोगी भये पर अन्त न पावैं। Read More
गुंज गरें सिर मोरपखा अरु चाल गयंद की मो मन भावै। Read More
छूट्यौ गृह काज लोक लाज मनमोहन कै …
जल की न घट भरैं मग की न पग धरैं …
जा दिन तें निरख्यो नन्दनन्दन कानि तजी घर बन्धन…
जा दिन तें वह नन्द को छोहरो या बन धेनु चराइ गयो…
जीवन मुँहचाही को नीको।दरस परस दिनरात करति…
जोग ठगौरी ब्रज न बिकैहै।यह ब्योपार तिहारो…
जोहौं मैं तिहारी ओर नन्दगाँव के किसोर …
तबहि उपँगसुत आय गए।सखा सखा कछु अंतर नाहीं…
तिहारी प्रीति किधौं तरवारि ?दृष्टिधार करि…
तेरो बुरो न कोऊ मानै।रस की बात मधुप नीरस,…
1. तैं रहीम मन आपुनो, कीन्हों…
तोहूँ पहिचानौं बृषभान हूँ को जानौं नेकु …
तौ हम मानैं बात तुम्हारी।अपनो ब्रह्म दिखावहु…
दान पै न कान सुने लैहों सो गुमान भंजि …
धूर भरे अति शोभित स्याम जू तैसी बनी सिर सुन्दर…
नन्द की न दासी हम जातिहू मैं नाही कम …
नयननि वहै रूप जौ देख्यो।तौ ऊधो यह जीवन जग…
नाहिं न रह्यो मन में ठौर।नंदनंदन अछत कैसे…
निरखत अंक स्यामसुंदर के बार बार लावति छाती। Read More
निर्गुन कौन देस को वासी ?मधुकर ! हँसि समुझाय,…
नीके रहियो जसुमति मैया।आवैंगे दिन चारि पाँच…
नैन लख्यो जब कुंजन तें वन तें निकस्यो अँटक्यो मटक्यो…
नौ लख गाय सुनी हम नन्द के तापर दूध दही न अघाने। Read More
पथिक ! सँदेसो कहियो जाय।आवैंगे हम दोनों भैया,…
पाती सखि! मधुबन तें आई।ऊधो हाथ स्याम लिखि…
फागुन लाग्यो सखी जब तें तब तें ब्रजमंडल धूम मच्यो…
फिरि फिरि कहा सिखावत मौन।दुसह वचन अलि यों…
बंक बिलोकनि है दुखमोचन दीरघ लोचन रंग भरे हैं। Read More
बजी है बजी रसखानि बजी सुनिकै अब गोपकुमारि न जीहै। Read More
बरु वै कुब्जा भलो कियो।सुनि सुनि समाचार ऊधो…
बिन गोपाल बैरिन भई कुंजैं।तब ये लता लगति…
बिलग जनि मानहु, ऊधो प्यारे।वह मथुरा काजर…
ब्याही अनब्याही ब्रजमाहीं सब चाही तासों …
ब्रजनन सकल स्याम ब्रतधारी।बिन गोपाल और नहिं…
भौंह भरी बरुनी सुथरी अतिसै अधरानि रंगी रंग रातौ। Read More
मकराकृत कुंडल गुंज की माल वे लाल लसैं पग पाँवरिया। Read More
मधुकर! ये नयना पै हारे।निरखि निरखि मग कमलनयन…
मधुकर! ल्याए जोग सँदेसो।भली स्याम कुसलात…
मधुकर! हम न होहि वे बेली।जिनको तुम तजि भजत…
मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के…
1. मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि…
मेरो को करै नियाब हौं तो तीनि लोक राव …
मैन मनोहर बैन बजै सु सजे तन सोहत पीत पटा है। Read More
1. मो मन मानिक लै गयो, चितै चोर…
या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं। Read More
लरिकाई को प्रेम, कहो अलि, कैसे करिकै छूटत।कहा…
लोक की लाज तजी तबहीं जब देख्यो सखी ब्रजचन्द सलोनो। Read More
वा मुसकान पै प्रान दियो जिय जान दियो वह तान पै…
सँदेसनि मधुबन कूप भरे।जे कोउ पथिक गए हैं…
संभु धरै ध्यान जाको जपत जहान सब …
1. नाह गरजि नाहर-गरज, बोलु…
सुनिकै यह बात हियें गुनि कै तब बोलि उठि बृषभान-लली। Read More
सुनियो एक सँदेसो ऊधो तुम गोकुल को जात।ता…
सेस सुरेस दिनेस गनेस प्रजेस धनेस महेस मनाओ। Read More
सोहत है चँदवा सिर मौर के जैसियै सुन्दर पाग कसी…
हम तो कान्ह केलि की भूखी।कैसे निरगुन सुनहि…
हम तो नंदघोष की बासी।नाम गोपाल जाति कुल गोपहि,…
हमको हरि की कथा सुनाव।अपनी ज्ञानकथा हो, ऊधो…
हमसों कहत कौन की बातें ?सुनि ऊधो ! हम समुझत…
हमारे हरि हारिल की लकरी।मन बच क्रम नँदनंदन…
हरि काहे के अंतर्जामी ?जौ हरि मिलत नाहिं…
हरि सों भलो सो पति सीता को।बन बन खोजत फिरत…
हरिमुख निरखि निमुख बिसारे।ता दिन तें मनो…