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अँखियाँ हरि दरसन की भूखी।कैसे रहैं रूपरसराची…
अति मलीन बृषभानुकुमारी।हरि स्रमजल अंतर तनु…
अब तोहि जान न देहुँ राम पियारे ज्यूँ भावै त्यूँ…
अब मैं पाइबो रे पाइबो ब्रह्म गियान।सहज समाधें…
अब मोहि ले चल नणद के बीर अपने देसा।इन पंचनि…
अवधू ग्यान लहरि धुनि मीडि रे।सबद अतीत अनाहद…
आई हौ आज नई ब्रज में कछु नैन नचाइ कैं रार मचैहौ। Read More
आए जोग सिखावन पाँड़े।परमारथी पुराननि लादे…
आयो घोष बड़ो व्यापारी।लाद खेंप गुन ज्ञान जोग…
इति तत राम जपहु रे प्राँनी बुझौ अकथ कहाँणी। Read More
ईस-सीस बससि, त्रिपथ लससि, नभ-पताल-धरनि।सुर-नर-मुनि-नाग-सिद्ध-सुजन…
उद्धव ! बेगिही ब्रज जाहु।सुरति सँदेस सुनाय…
उद्धव मन अभिलाष बढ़ायो।जदुपति जोग जानि जिय…
उपमा एक न नैन गही।कबिजन कहत चलि आए सुधि करि…
उर में माखनचार गड़े।अब कैसहु निकसत नहिं, ऊधो!…
ऊधो! मन माने की बात।जरत पतंग दीप में…
ऊधो! अब यह समुझ भई।नँदनंदन के अंग अंग प्रति…
ऊधो! इतनी कहियो जाय।अति कृसगात भई हैं तुम…
ऊधो! क्यों राखै ये नैन ?सुमिरि सुमिरि गुन…
ऊधो! जाहु तुम्है हम जानै।स्याम तुम्है ह्याँ…
ऊधो! जुवतिन ओर निहारौ।तब यह जोग मोट हम आगे…
ऊधो! जोग बिसरि जनि जाहु।बाँधहु गाँठि कहूँ…
ऊधो! जोग सुन्यो हम दुर्लभ।आपु कहत हम सुनत…
ऊधो! तुम अति चतुर सुजान।जेहि पहिले रँग रँगी…
ऊधो! तुम हौ अति बड़भागी।अपरस रहत सनेह तगा…
ऊधो! ना हम बिरही, ना तुम दास।कहत सुनत घट…
ऊधो! प्रीति न मरन बिचारै।प्रीति पतंग जरै…
ऊधो! ब्रज की दसा बिचारो।ता पाछे यह सिद्धि…
ऊधो! ब्रज में पैठ करी।यह निर्गुन गाँठरी अब…
ऊधो! भली करी तुम आए।ये बातें कहि कहि या दुख…
ऊधो! मन नहिं हाथ हमारे।रथ चढ़ाय हरि संग गए…
ऊधो! हम अजान मति भोरी।जानति है ते जोग की…
ऊधो! हम आजु भई बड़ भागी।जैसे सुमन गंध लै आवतु…
एक अचंभा देखा रे भाई ठाढ़ा सिंह चरावै गाई।पहले…
चरखा जिनि जरे। कतौंगी हजरी का सूत नण्नद के भइया…
एरी कहा बृषभानपुरा की तौ दान दियें बिन जान न पैहौ। Read More
ऐसी बात कहौ जनि ऊधो!ज्यो त्रिदोष उपजे जक…
ऐसेई जन दूत कहावत।मोको एक अचंभो आवत यामें…
कबहुँ सुधि करत गोपाल हमारी।पूछत नंद पिता…
कस न दीनपर द्रवहु उमाबर। दारुन बिपति हरन करुनाकर।। Read More
कहाँ लगि मानिए अपनी चूक।बिन गोपाल, ऊधो, मेरी…
कहिबे जोय न कछु सक राखो।लावा मेलि दए हैं…
कहियो नंद कठोर भए।हम दोउ बीरैं डारि परघरै…
कहौ लौ कीजै बहुत बड़ाई।अतिहि अगाध अपार अगोचर…
काहे को रोकत मारग सूधो ?सुनहु मधुप ! निर्गुन…
को जाँचिये संभु तजि आन।दीनदयालु भगत-आरति-हर,…
कोउ ब्रज बाँचत नाहिंन पाती।कत लिखि लिखि पठवत…
कोऊ आवत है तन स्याम।वैसेइ पट, वैसिय रथ बैठनि,…
गाइये गनपति जगबंदन। संकर-सुवन भवानी-नंदन।।सिद्धि-सदन,…
गोकुल नाइक बीठुला मेरौ मन लागौ तोहि रे।बहुतक…
गोकुल सबै गोपाल उपासी।जोग अंग साधत जे ऊधो…
अब हम सकल कुसल करि माँनाँ स्वाति भई तब गोबिंद जाँनाँ। Read More
जय जय भगीरथनन्दिनि, मुनि-चय चकोर-चन्दिनि, …
जाके गति है हनुमानकी।ताकी पैज पूजि आई, यह…
जाँचिये गिरिजापति कासी। जासु भवन अनिमादिक दासी।। Read More
जीवन मुँहचाही को नीको।दरस परस दिनरात करति…
जोग ठगौरी ब्रज न बिकैहै।यह ब्योपार तिहारो…
तबहि उपँगसुत आय गए।सखा सखा कछु अंतर नाहीं…
तिहारी प्रीति किधौं तरवारि ?दृष्टिधार करि…
तेरो बुरो न कोऊ मानै।रस की बात मधुप नीरस,…
तौ हम मानैं बात तुम्हारी।अपनो ब्रह्म दिखावहु…
दानी कहुँ संकर-सम नाहीं।दीन-दयालु दिबोई भावै,…
दुलहनी गावहु मंगलचार।हम घरि आए हो राजा राम…
इड़ा सर्ग-
देखे मैंने वे…
देखो देखो, बन बन्यो आजु उमाकंत। मानों देखन तुमहिं…
नयननि वहै रूप जौ देख्यो।तौ ऊधो यह जीवन जग…
नरहरि सहजै ही जिनि जाना।गत फल फूल तत तर पल्लव…
नाहिं न रह्यो मन में ठौर।नंदनंदन अछत कैसे…
निरखत अंक स्यामसुंदर के बार बार लावति छाती। Read More
निर्गुन कौन देस को वासी ?मधुकर ! हँसि समुझाय,…
नीके रहियो जसुमति मैया।आवैंगे दिन चारि पाँच…
पथिक ! सँदेसो कहियो जाय।आवैंगे हम दोनों भैया,…
पाती सखि! मधुबन तें आई।ऊधो हाथ स्याम लिखि…
प्रकृति जोइ जाके अंग परी।स्वानपूँछ कोटिक…
प्राची में फैला मधुर रागजिसके…
फिरि फिरि कहा सिखावत मौन।दुसह वचन अलि यों…
बरु वै कुब्जा भलो कियो।सुनि सुनि समाचार ऊधो…
बहुत दिनन थैं मैं प्रीतम पाये भाग बड़े घरि बैठे…
बावरो रावरो नाह भवानी।दानि बड़ो दिन देत दये…
बिन गोपाल बैरिन भई कुंजैं।तब ये लता लगति…
बिलग जनि मानहु, ऊधो प्यारे।वह मथुरा काजर…
ब्रजनन सकल स्याम ब्रतधारी।बिन गोपाल और नहिं…
मधुकर! ये नयना पै हारे।निरखि निरखि मग कमलनयन…
मधुकर! ल्याए जोग सँदेसो।भली स्याम कुसलात…
मधुकर! हम न होहि वे बेली।जिनको तुम तजि भजत…
मन के मोहन बिठुला यह मन लागौ तोहि रे।चरन…
मन रे मन ही उलटि समाँना।गुर प्रसादि अकलि…
…
मैं बुनि करि सियाँनाँ हो राम नालि करम नहिं ऊबरे। Read More
यों सोच रहे…
लरिकाई को प्रेम, कहो अलि, कैसे करिकै छूटत।कहा…
संतो भाई आई ग्यान की आँधी रे।भ्रम की टाटी…
सँदेसनि मधुबन कूप भरे।जे कोउ पथिक गए हैं…
सब सोच-बिमोचन चित्रकूट। कलिहरन, करन कल्यान बूट।। Read More
सिव ! सिव ! होइ प्रसन्न करु दाया।करुनामय…
सुनियो एक सँदेसो ऊधो तुम गोकुल को जात।ता…
सेइअ सहित सनेह देह भरि, कामधेनु कलि कासी।समनि…
सेवहु सिव-चरन-सरोज-रेनु। कल्यान-अखिल-प्रद कामधेनु।। Read More
हम तो कान्ह केलि की भूखी।कैसे निरगुन सुनहि…
हम तो नंदघोष की बासी।नाम गोपाल जाति कुल गोपहि,…
हमको हरि की कथा सुनाव।अपनी ज्ञानकथा हो, ऊधो…
हमसों कहत कौन की बातें ?सुनि ऊधो ! हम समुझत…
हमारे हरि हारिल की लकरी।मन बच क्रम नँदनंदन…
हरनि पाप त्रिबिध ताप सुमिरत सुरसरित।बिलसति…
हरि काहे के अंतर्जामी ?जौ हरि मिलत नाहिं…
हरि के षारे बड़े पकाये जिनि जारे तिनि पाये।ग्यान…
हरि सों भलो सो पति सीता को।बन बन खोजत फिरत…
हरिमुख निरखि निमुख बिसारे।ता दिन तें मनो…