मैं बुनि करि सियाँनाँ हो राम नालि करम नहिं ऊबरे

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मैं बुनि करि सियाँनाँ हो राम नालि करम नहिं ऊबरे।
दखिन कूट जब सुनहाँ झूका तब हम सगुन बिचारा।।
लरके परके सब जागत है हम घरि चोर पसारा हो राम।
ताँनाँ लीन्हाँ बाँनाँ लीन्हाँ माँस चलवना डऊवा हो राम।।
एक पग दोई पग त्रेपग सँध सधि मिलाई।
कर परपंच मोट बँधि आये किलिकिलि सबै मिटाई हो राम।।
ताँनाँ तनि करि बाँनाँ बुनि करि छाक परी मोहि ध्याँन।
कहै कबीर मैं बुंनि सिराँना जानत है भगवाँनाँ हो राम।।   

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