जाँचिये गिरिजापति कासी

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जाँचिये गिरिजापति कासी। जासु भवन अनिमादिक दासी।।
औढर-दानि द्रवत पुनि थोरें। सकत न देखि दीन करजोरें।।
सुख-संपति, मति-सुगति सुहाई। सकल सुलभ संकर-सेवकाई।।
गये सरन आरतिकै लीन्हे। निरखि निहाल निमिषमहँ कीन्हे।।
तुलसिदास जाचक जस गावै। बिमल भगति रघुपतिकी पावै।।
 

पुस्तक | विनय पत्रिका कवि | गोस्वामी तुलसीदास भाषा | अवधी रचनाशैली | मुक्तक छंद | पद