आप एक सदस्य के रूप में हिंदी साहित्य कोष का हिस्सा बनें
अंग-अंग दलित ललित फूले किंसुक-से …
अवधेस के द्वारे सकारें गइ सुत गोद कै भूपति लै निकसे। Read More
आगें सोहै साँवरो कुँवरु गोरो पाछें-पाछें, …
ईस-सीस बससि, त्रिपथ लससि, नभ-पताल-धरनि।सुर-नर-मुनि-नाग-सिद्ध-सुजन…
ओझरी की झोरी काँधें आँतनिकी सेल्ही बाँधें, …
कतहुँ बिटप-भूधर उपारि परसेन बरष्षत।कतहुँ…
कबहूँ ससि मागत आरि करैं कबहूँ प्रतिबिंब निहारि…
कस न दीनपर द्रवहु उमाबर। दारुन बिपति हरन करुनाकर।। Read More
कागर कीर ज्यों भूषन-चीर सरीरु लस्यो तजि नीरु ज्यों…
कीर के कागर ज्यों नृपचीर, बिभूषन उप्पम अंगनि पाई। Read More
कुंभकरन्नु हन्यो रन राम दल्यो दसकंधरु कंधर तोरे। Read More
को जाँचिये संभु तजि आन।दीनदयालु भगत-आरति-हर,…
बालकाण्ड-
को बड़ छोट कहत अपराधू । सुनि गुन…
गहि मंदर बंदर-भालु चले, सो मनो उनये घन सावनके। Read More
गाइये गनपति जगबंदन। संकर-सुवन भवानी-नंदन।।सिद्धि-सदन,…
चल्यो हनुमानु सुनु जातुधान कालनेमि …
जय जय भगीरथनन्दिनि, मुनि-चय चकोर-चन्दिनि, …
जलको गए लक्खनु, हैं लरिका …
जलजनयन, जलजानन जटा है सिर, …
जाकी बाँकी बीरता सुनत सहमत सूर, …
जाके गति है हनुमानकी।ताकी पैज पूजि आई, यह…
जाँचिये गिरिजापति कासी। जासु भवन अनिमादिक दासी।। Read More
जे रजनीचर बीर बिसाल, कराल बिलोकत काल न खाए। Read More
जो दससीसु महीधर ईसको बीस भुजा खुलि खेलनिहारो। Read More
जौं अपने अवगुन सब कहऊँ । बाढ़इ कथा…
जौं अहि सेज सयन हरि करहीं । बुध…
ठाढ़े हैं नवद्रुमडार गहें, धनु काँधें धरें, कर सायकु…
तन की दुति स्याम सरोरुह लोचन कंज की मंजुलताई हरैं। Read More
तीखे तुरंग कुरंग सुरंगनि साजि चढ़े छँटि छैल छबीले। Read More
दबकि दबोरे एक, बारिधिमें बोरे एक, …
दानी कहुँ संकर-सम नाहीं।दीन-दयालु दिबोई भावै,…
दूलह श्रीरघुनाथ बने दुलही सिय सुंदर मंदिर माहीं। Read More
देखो देखो, बन बन्यो आजु उमाकंत। मानों देखन तुमहिं…
धरि धीर कहैं, चलु, देखिअ जाइ, जहाँ सजनी ! रजनी…
नगरु कुबेरको सुमेरुकी बराबरी, …
पग नूपुर औ पहुँची करकंजनि मंजु बनी मनिमाल हिएँ। Read More
पद कोमल, स्यामल-गौर कलेवर राजत कोटि मनोज लजाएँ। Read More
पदकंजनि मंजु बनीं पनहीं धनुहीं सर पंकज-पानि लिएँ। Read More
पुरतें निकसी रघुबीरबधू धरि धीर दए मगमें डग द्वै। Read More
प्रबल प्रचंड बरिबंड बाहुदंड बीर …
प्रेम सों पीछें तिरीछें प्रियाहि चितै चितु दै चले…
बंदउँ नाम राम रघुबर को। हेतु कृसानु…
बनिता बनी स्यामल गौरके बीच, …
बर दंतकी पंगति कुंदकली अधराधर-पल्लव खोलन की। Read More
बलकल-बसन, धनु-बान पानि, तून कटि, …
बसन बटोरि बोरि-बोरि तेल तमीचर, …
बालधी बिसाल बिकराल, ज्वालजाल मानो …
बावरो रावरो नाह भवानी।दानि बड़ो दिन देत दये…
बिंधिके बासी उदासी तपी ब्रतधारी महा बिनु नारि दुखारे। Read More
भनिति बिचित्र सुकबि कृत जोऊ। राम…
मुखपंकज, कंजबिलोचन मंजु, मनोज-सरासन-सी बनीं भौंहैं। Read More
रजनीचर-मत्तगयंद-घटा बिघटै मृगराजके साज लरै। Read More
राम नाम कर अमित प्रभावा । संत पुरान…
राम सरासन तें चले तीर रहे न सरीर हड़ावरि फूटीं। Read More
लाइ-लाइ आगि भागे बालजाल जहाँ तहाँ, …
लीन्हो उखारि पहारु बिसाल, …
लोथिन सों लोहूके प्रबाह चले जहाँ-तहाँ …
सब सोच-बिमोचन चित्रकूट। कलिहरन, करन कल्यान बूट।। Read More
सर चारिक चारु बनाइ कसें कटि, पानि सरासनु सायकु…
सर-तोमर सेलसमूह पँवारत, मारत बीर निसाचरके।इत…
सरजू बर तीरहिं तीर फिरैं रघुबीर सखा अरु बीर सबै। Read More
साँवरे-गोरे सलोने सुभायँ, मनोहरताँ जिति मैनु लियो…
सिव ! सिव ! होइ प्रसन्न करु दाया।करुनामय…
सीस जटा, उर-बाहु बिसाल, बिलोचन लाल, तिरीछी-सी भौंहैं। Read More
सुन्दर बदन, सरसीरुह सुहाए नैन, …
सूर सँजोइल साजि सुबाजि, सुसेल धरैं बगमेल चले हैं। Read More
सेइअ सहित सनेह देह भरि, कामधेनु कलि कासी।समनि…
सेवहु सिव-चरन-सरोज-रेनु। कल्यान-अखिल-प्रद कामधेनु।। Read More
हरनि पाप त्रिबिध ताप सुमिरत सुरसरित।बिलसति…
हाथिन सों हाथी मारे, घोरेसों सँघारे घोरे, …