काव्यांश (रचनाशैली - महाकाव्य )

अगहन देवस घटा निसि बाढ़ी

नागमती वियोग खण्ड-


अगहन देवस घटा निसि…

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अधर सुरंग अमिअ रस भरे

नखशिख खण्ड-

अधर सुरंग अमिअ रस भरे। बिंब सुरंग…

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ओ जीवन की मरु मरीचिका

चिंता सर्ग-


ओ जीवन की मरु मरीचिका,…

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कहौं लिलाट दुइजि कै जोती

नखशिख खण्ड-

कहौं लिलाट दुइजि कै जोती। दुइजिहि…

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का सिंगार ओहि बरनौं राजा

नखशिख खण्ड-

का सिंगार ओहि बरनौं राजा। ओहिक…

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कातिक सरद  चंद उजिआरी

नागमती वियोग खण्ड-


कातिक सरद  चंद…

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को बड़ छोट कहत अपराधू

बालकाण्ड-

को बड़ छोट कहत अपराधू । सुनि गुन…

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कौन जन्म लेता किस कुल में

‘‘मैं कहता हूँ, अगर विधाता नर को मुठ्ठी…

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चढ़ा अषाढ़ गँगन घन गाजा

नागमती वियोग खण्ड-


चढ़ा अषाढ़ गँगन घन…

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जौं अपने अवगुन सब कहऊँ

बालकाण्ड-

जौं अपने अवगुन सब कहऊँ । बाढ़इ कथा…

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जौं अहि सेज सयन हरि करहीं

बालकाण्ड-

जौं अहि सेज सयन हरि करहीं । बुध…

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दसन चौक बैठे जनु हीरा

नखशिख खण्ड-

दसन चौक बैठे जनु हीरा। औ बिच…

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धरीं तीर सब छीपक सारीं

मानसरोदक खण्ड-

धरीं तीर सब छीपक सारीं। सरवर…

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नर विभव-हेतु ललचाता है

‘‘होकर समृद्धि-सुख के अधीन,
मानव…

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नरता का आदर्श तपस्या के भीतर पलता है

नरता का आदर्श तपस्या के भीतर पलता है,
देता…

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नागमती  चितउर  पँथ  हेरा

नागमती वियोग खण्ड-

 

नागमती  चितउर…

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नासिक खरग देऊँ कहि जोगू

नखशिख खण्ड-

नासिक खरग देऊँ कहि जोगू। खरग…

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निशा बीती, गगन का रूप दमका

निशा बीती, गगन का रूप दमका,
किनारे पर किसी…

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नैन जो देखे कंवल भए निरमर नीर सरीर

मानसरोदक खण्ड-

कहा मानसर चहा सो पाई। पारस…

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नैन बाँक सरि पूजि न कोऊ

नखशिख खण्ड-

नैन बाँक सरि पूजि न कोऊ। मान…

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पूस जाड़  थरथर तन काँपा

नागमती वियोग खण्ड-


पूस जाड़  थरथर…

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प्राची में फैला मधुर राग

इड़ा सर्ग-

प्राची में फैला मधुर राग
जिसके…

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प्रासादों के कनकाभ शिखर

‘‘मुझ-से मनुष्य जो होते हैं,
क्ंचन…

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बंदउँ नाम राम रघुबर को

बालकाण्ड-

बंदउँ नाम राम रघुबर को। हेतु कृसानु…

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बरनौं गीवँ  कूँज कै रीसी

नखशिख खण्ड-

बरनौं गीवँ  कूँज कै रीसी।…

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बरनौं माँग सीस उपराहीं

नखशिख खण्ड-

बरनौं माँग सीस उपराहीं। सेंदुर…

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बरुनी का बरनौं इमि बनी

नखशिख खण्ड-

बरुनी का बरनौं इमि बनी। साँधे…

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भइ ओनंत पदुमावति बारी

जन्म खण्ड-

भइ ओनंत पदुमावति बारी। धज घोरैं…

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भए दस मास पूरि भै घरी

जन्म खण्ड-

भए दस मास पूरि भै घरी। पदुमावति…

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भनिति बिचित्र सुकबि कृत जोऊ

बालकाण्ड-

भनिति बिचित्र सुकबि कृत जोऊ। राम…

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भर  भादौं  दूभर  अति  भारी

नागमती वियोग खण्ड-


भर  भादौं  दूभर…

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भा बैसाख  तपनि अति लागी

नागमती वियोग खण्ड-


भा बैसाख  तपनि…

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भौंहैं स्याम धनुकु जनु ताना

नखशिख खण्ड-

भौंहैं स्याम धनुकु जनु ताना।…

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महाभारत मही पर चल रहा है

महाभारत मही पर चल रहा है,
भुवन का भाग्य रण…

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महाराज, उद्यम से विधि का अंक उलट जाता है

क्षुद्र पात्र हो मग्न कूप में जितना जल लेता है, Read More

यज्ञ समाप्त हो चुका तो भी

कर्म सर्ग-

 

यज्ञ समाप्त हो चुका…

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याचना नहीं, अब रण होगा

‘‘हित-वचन नहीं तूने माना,
मैत्री…

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रतनसेनि   के  माइ  सुरसती

नागमती-संदेश खण्ड

रतनसेनि   के  माइ…

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रसना कहौं जो कह रस बाता

नखशिख खण्ड-

रसना कहौं जो कह रस बाता। अँब्रित…

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राधेय सान्ध्य पूजन में ध्यान लगाये

राधेय सान्ध्य पूजन में ध्यान लगाये,
था खड़ा…

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राम नाम कर अमित प्रभावा

बालकाण्ड-

राम नाम कर अमित प्रभावा । संत पुरान…

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रोइ गँवाएउ  बारह मासा

नागमती वियोग खण्ड-


रोइ गँवाएउ  बारह…

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लागेउ माँह  परै  अब पाला

नागमती वियोग खण्ड-


लागेउ माँह  परै…

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वसुधा का नेता कौन हुआ

वसुधा का नेता कौन हुआ?
भूखण्ड-विजेता कौन हुआ? Read More

सच है, विपत्ति जब आती है

सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती…

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सरवर तीर पदुमिनीं आईं

मानसरोदक खण्ड-

सरवर तीर पदुमिनीं आईं। खौपा…

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सरिता देती वारि कि पाकर उसे सुपूरित घन हो

सरिता देती वारि कि पाकर उसे सुपूरित घन हो,
बरसे…

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सावन बरिस मेह अतिवानी

नागमती वियोग खण्ड-


सावन बरिस मेह अतिवानी।…

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हार-जीत क्या चीज? वीरता की पहचान समर है

देवराज! हम जिसे जीत सकते न बाहु के बल से,
क्या…

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हिया थार कुच कंचन लाडू

नखशिख खण्ड-

हिया थार कुच कंचन लाडू। कनक कचोर…

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