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नागमती वियोग खण्ड-
अगहन देवस घटा निसि…
नखशिख खण्ड-
अधर सुरंग अमिअ रस भरे। बिंब सुरंग…
लज्जा सर्ग-
इस अर्पण में कुछ…
‘‘उड़ते जो झंझावातों में,पीते…
चिंता सर्ग-
उनको देख कौन रोया…
आशा सर्ग-
उषा सुनहले तीर बरसती…
उसी तपस्वी से लम्बे,…
ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है, Read More
ओ जीवन की मरु मरीचिका,…
श्रद्धा सर्ग-
और देखा वह सुन्दर…
“और यह क्या…
कनक दंड दुइ भुजा…
‘‘कवच-कुण्डल गया; पर, प्राण तो हैं, Read More
कहौं लिलाट दुइजि कै जोती। दुइजिहि…
का सिंगार ओहि बरनौं राजा। ओहिक…
कातिक सरद चंद…
कुहुकि कुहुकि…
बालकाण्ड-
को बड़ छोट कहत अपराधू । सुनि गुन…
‘‘मैं कहता हूँ, अगर विधाता नर को मुठ्ठी…
चढ़ा अषाढ़ गँगन घन…
पर नहीं, मरण का तट छूकर, …
चैत बसंता…
‘‘फूटता द्रोह-दव का पावक,हो जाता…
जो जहर हमें बरबस उभार, …
जेठ जरै …
जौं अपने अवगुन सब कहऊँ । बाढ़इ कथा…
जौं अहि सेज सयन हरि करहीं । बुध…
तपै लाग अब…
थे जहाँ सहस्रों वर्ष पूर्व, …
दसन चौक बैठे जनु हीरा। औ बिच…
पर, जाने क्यों, नियम एक अद्भुत जग में चलता है, Read More
इड़ा सर्ग-
देखे मैंने वे…
द्वन्द्व-युद्ध के लिए पार्थ को फिर उसने ललकारा, Read More
मानसरोदक खण्ड-
धरीं तीर सब छीपक सारीं। सरवर…
‘‘होकर समृद्धि-सुख के अधीन,मानव…
नरता का आदर्श तपस्या के भीतर पलता है,देता…
नागमती चितउर…
नासिक खरग देऊँ कहि जोगू। खरग…
निशा बीती, गगन का रूप दमका,किनारे पर किसी…
कहा मानसर चहा सो पाई। पारस…
नैन बाँक सरि पूजि न कोऊ। मान…
परशु और तप, ये दोनों वीरों के ही होते श्रृंगार, Read More
पाट महादेइ…
पाप हाथ से निकल मनुज के सिर पर जब छाता है,तब,…
पिउ बियोग…
पुनि बरनौं का सुरंग…
पूस जाड़ थरथर…
प्राची में फैला मधुर रागजिसके…
‘‘मुझ-से मनुष्य जो होते हैं,क्ंचन…
फागुन पवन…
‘‘बज चुका काल का पटह, भयानक क्षण है, Read More
बंदउँ नाम राम रघुबर को। हेतु कृसानु…
बरनौं गीवँ कूँज कै रीसी।…
बरनौं माँग सीस उपराहीं। सेंदुर…
बरुनी का बरनौं इमि बनी। साँधे…
बिखरी अलकें ज्यों…
जन्म खण्ड-
भइ ओनंत पदुमावति बारी। धज घोरैं…
भई पुछारि…
भए दस मास पूरि भै घरी। पदुमावति…
भनिति बिचित्र सुकबि कृत जोऊ। राम…
भर भादौं दूभर…
’भरा था…
भा बैसाख तपनि…
भौंहैं स्याम धनुकु जनु ताना।…
…
महाभारत मही पर चल रहा है,भुवन का भाग्य रण…
क्षुद्र पात्र हो मग्न कूप में जितना जल लेता है, Read More
‘‘मही का सूर्य होना चाहता हूँ,विभा…
‘‘मूल जानना बड़ा कठिन है नदियों का,…
‘‘मैं उनका आदर्श, जिन्हें कुल का गौरव…
‘‘मैत्री की बड़ी सुखद छाया,शीतल…
कर्म सर्ग-
यज्ञ समाप्त हो चुका…
कामायनी-लज्जा सर्ग-
यह आज समझ…
‘‘यह देख, गगन मुझमें लय है,यह…
यह देह टूटनेवाली है, इस …
‘‘हित-वचन नहीं तूने माना,मैत्री…
यों सोच रहे…
नागमती-संदेश खण्ड
रतनसेनि के माइ…
रसना कहौं जो कह रस बाता। अँब्रित…
राधेय सान्ध्य पूजन में ध्यान लगाये,था खड़ा…
राम नाम कर अमित प्रभावा । संत पुरान…
राधेय जरा हँसकर बोला, …
रोइ गँवाएउ बारह…
लाग कुआर…
लागेउ माँह परै…
वसुधा का नेता कौन हुआ?भूखण्ड-विजेता कौन हुआ? Read More
‘‘वह करतब है यह कि शूर जो चाहे कर सकता…
वह प्रेम न रह जाये…
संग्राम-बुभुक्षा से पीड़ित, …
सच है, विपत्ति जब आती है,कायर को ही दहलाती…
सबकी पीड़ा के साथ व्यथा …
सरवर तीर पदुमिनीं आईं। खौपा…
सरिता देती वारि कि पाकर उसे सुपूरित घन हो,बरसे…
सावन बरिस मेह अतिवानी।…
‘‘सिर पर कुलीनता का टीका,भीतर…
स्रवन सीप दुइ दीप…
समझा, तो यह और न कोई, आप स्वयं सुरपति हैं,देने…
देवराज! हम जिसे जीत सकते न बाहु के बल से,क्या…
हिया थार कुच कंचन लाडू। कनक कचोर…
है धर्म पहुँचना नहीं, धर्म तो …