हार-जीत क्या चीज? वीरता की पहचान समर है

पीछे

देवराज! हम जिसे जीत सकते न बाहु के बल से,
क्या है उचित उसे मारें हम न्याय छोड़ कर छल से?
हार-जीत क्या चीज? वीरता की पहचान समर है,
सच्चाई पर कभी हार कर भी न हारता नर है। 

पुस्तक | रश्मिरथी कवि | रामधारी सिंह ‘दिनकर’ भाषा | खड़ी बोली रचनाशैली | महाकाव्य छंद |
विषय | वीरता,