यह देह टूटनेवाली है, इस मिट्टी का कब तक प्रमाण
पीछेयह देह टूटनेवाली है, इस
मिट्टी का कब तक प्रमाण ?
मृत्तिका छोड़ ऊपर नभ में
भी तो ले जाना है विमान।
कुछ जुटा रहा सामान खमण्डल
में सोपान बनाने को,
ये चार फूल फेंके मैंने,
ऊपर की राह सजाने को।
ये चार फूल हैं मोल किन्हीं
कातर नयनों के पानी के,
ये चार फूल प्रच्छन्न दान
हैं किसी महाबल दानी के।
ये चार फूल, मेरा अदृष्ट था
हुआ कभी जिनका कामी,
ये चार फूल पाकर प्रसन्न
हँसते होंगे अन्तर्यामी।
समझोगे नहीं शल्य इसको,
यह करतब नादानों का है,
यह खेल जीत से बड़े किसी,
मकसद के दीवानों का है।
जानते स्वाद इसका वे ही,
जो सुरा स्वप्न की पीते हैं,
दुनिया में रहकर भी दुनिया
से अलग खड़े जो जीते हैं।