का सिंगार ओहि बरनौं राजा

पीछे

नखशिख खण्ड-

का सिंगार ओहि बरनौं राजा। ओहिक सिंगार ओहि पै छाजा।।
प्रथमहिं सीस कस्तुरी केसा। बलि बासुकि कौ औरु नरेसा।।
भँवर केस वह मालति रानी। बिसहर लुरहिं लेहिं अरघानी।।
बेनी छोरि झारु जौं बारा। सरग पतार होइ अँधियारा।।
कोंवल कुटिल केस नग कारे। लहरन्हि भर भुअंग बिसारे।।
बेधे जानु मलैगिरि बासा। सीस चढ़े लोटहिं चहुँ पासा।।
घुँघरवारि अलकै बिख भरीं। सिंकरी पेम चमहिं गियें परीं।।
     अस फँदवारे केस वैं राजा परा  गिय फाँद।
     अस्टौ कुरी नाग ओरगाने भै केसन्हि के बाँद।। 

पुस्तक | पद्मावत कवि | मलिक मुहम्मद जायसी भाषा | अवधी रचनाशैली | महाकाव्य छंद | दोहा-चौपाई