रसना कहौं जो कह रस बाता
पीछेनखशिख खण्ड-
रसना कहौं जो कह रस बाता। अँब्रित बचन सुनत मन बाता।।
हरै सो सुर चातिक कोकिला। बीन बंसि वह बैनु न मिला।।
चातिक कोकिल रहहिं जो नाहीं। सुनि वह बैनु लाज छिप जाहीं।।
भरे पेम मधु बोलै बोला। सुनै सो माति घुर्मि कै डोला।।
चतुर बेद मति सब ओहि पाहाँ। रिग जजु साम अथर्वन माहाँ।।
एक एक बोल अरथ चौगुना। इंद्र मोह बरम्हा सिर धुना।।
अमर भारथ पिंगल औ गीता। अरथ जूझ पंडित नहिं जीता।।
भावसती ब्याकरन सरसुती पिंगल पाठ पुरान।
बेद भेद सैं बात कह तस जनु लागहिं बान।।