सावन बरिस मेह अतिवानी
पीछेनागमती वियोग खण्ड-
सावन बरिस मेह अतिवानी। भरनि भरइ हौं बिरह झुरानी।।
लागु पुनर्बसु पीऊ न देखा। भै बाउरि कहँ कंत सरेखा।।
रकत क आँसु परे भुइँ टूटी। रेंगि चली जनु बीर बहूटी।।
सखिन्ह रचा पिउ सँग हिंडोला। हरियर भुइँ कुसुभि तन चोला।।
हिय हिंडोल जस डोलै मोरा। बिरह झुलावै देइ झँकोरा।।
बाट असूझ अथाह गँभीरा। जिउ बाउर भा भवै भँभीरा।।
जग जल बूड़ि जहाँ लगि ताकी। मोर नाव खेवक बिनु थाकी।।
परबत समुंद अगम बिच बन बेहड़ घन ढंख।
किमि करि भेटौं कंत तोहि ना मोहि पाँव न पंख।।