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अंग-अंग दलित ललित फूले किंसुक-से …
नागमती वियोग खण्ड-
अगहन देवस घटा निसि…
नखशिख खण्ड-
अधर सुरंग अमिअ रस भरे। बिंब सुरंग…
अवधेस के द्वारे सकारें गइ सुत गोद कै भूपति लै निकसे। Read More
आगें सोहै साँवरो कुँवरु गोरो पाछें-पाछें, …
ईस-सीस बससि, त्रिपथ लससि, नभ-पताल-धरनि।सुर-नर-मुनि-नाग-सिद्ध-सुजन…
ओझरी की झोरी काँधें आँतनिकी सेल्ही बाँधें, …
कतहुँ बिटप-भूधर उपारि परसेन बरष्षत।कतहुँ…
कनक दंड दुइ भुजा…
कबहूँ ससि मागत आरि करैं कबहूँ प्रतिबिंब निहारि…
कस न दीनपर द्रवहु उमाबर। दारुन बिपति हरन करुनाकर।। Read More
कहौं लिलाट दुइजि कै जोती। दुइजिहि…
का सिंगार ओहि बरनौं राजा। ओहिक…
कागर कीर ज्यों भूषन-चीर सरीरु लस्यो तजि नीरु ज्यों…
कातिक सरद चंद…
कीर के कागर ज्यों नृपचीर, बिभूषन उप्पम अंगनि पाई। Read More
कुंभकरन्नु हन्यो रन राम दल्यो दसकंधरु कंधर तोरे। Read More
कुहुकि कुहुकि…
को जाँचिये संभु तजि आन।दीनदयालु भगत-आरति-हर,…
बालकाण्ड-
को बड़ छोट कहत अपराधू । सुनि गुन…
गहि मंदर बंदर-भालु चले, सो मनो उनये घन सावनके। Read More
गाइये गनपति जगबंदन। संकर-सुवन भवानी-नंदन।।सिद्धि-सदन,…
चढ़ा अषाढ़ गँगन घन…
चल्यो हनुमानु सुनु जातुधान कालनेमि …
चैत बसंता…
जय जय भगीरथनन्दिनि, मुनि-चय चकोर-चन्दिनि, …
जलको गए लक्खनु, हैं लरिका …
जलजनयन, जलजानन जटा है सिर, …
जाकी बाँकी बीरता सुनत सहमत सूर, …
जाके गति है हनुमानकी।ताकी पैज पूजि आई, यह…
जाँचिये गिरिजापति कासी। जासु भवन अनिमादिक दासी।। Read More
जे रजनीचर बीर बिसाल, कराल बिलोकत काल न खाए। Read More
जेठ जरै …
जो दससीसु महीधर ईसको बीस भुजा खुलि खेलनिहारो। Read More
जौं अपने अवगुन सब कहऊँ । बाढ़इ कथा…
जौं अहि सेज सयन हरि करहीं । बुध…
ठाढ़े हैं नवद्रुमडार गहें, धनु काँधें धरें, कर सायकु…
तन की दुति स्याम सरोरुह लोचन कंज की मंजुलताई हरैं। Read More
तपै लाग अब…
तीखे तुरंग कुरंग सुरंगनि साजि चढ़े छँटि छैल छबीले। Read More
दबकि दबोरे एक, बारिधिमें बोरे एक, …
दसन चौक बैठे जनु हीरा। औ बिच…
दानी कहुँ संकर-सम नाहीं।दीन-दयालु दिबोई भावै,…
दूलह श्रीरघुनाथ बने दुलही सिय सुंदर मंदिर माहीं। Read More
देखो देखो, बन बन्यो आजु उमाकंत। मानों देखन तुमहिं…
धरि धीर कहैं, चलु, देखिअ जाइ, जहाँ सजनी ! रजनी…
मानसरोदक खण्ड-
धरीं तीर सब छीपक सारीं। सरवर…
नगरु कुबेरको सुमेरुकी बराबरी, …
नागमती चितउर…
नासिक खरग देऊँ कहि जोगू। खरग…
कहा मानसर चहा सो पाई। पारस…
नैन बाँक सरि पूजि न कोऊ। मान…
पग नूपुर औ पहुँची करकंजनि मंजु बनी मनिमाल हिएँ। Read More
पद कोमल, स्यामल-गौर कलेवर राजत कोटि मनोज लजाएँ। Read More
पदकंजनि मंजु बनीं पनहीं धनुहीं सर पंकज-पानि लिएँ। Read More
पाट महादेइ…
पिउ बियोग…
पुनि बरनौं का सुरंग…
पुरतें निकसी रघुबीरबधू धरि धीर दए मगमें डग द्वै। Read More
पूस जाड़ थरथर…
प्रबल प्रचंड बरिबंड बाहुदंड बीर …
प्रेम सों पीछें तिरीछें प्रियाहि चितै चितु दै चले…
फागुन पवन…
बंदउँ नाम राम रघुबर को। हेतु कृसानु…
बनिता बनी स्यामल गौरके बीच, …
बर दंतकी पंगति कुंदकली अधराधर-पल्लव खोलन की। Read More
बरनौं गीवँ कूँज कै रीसी।…
बरनौं माँग सीस उपराहीं। सेंदुर…
बरुनी का बरनौं इमि बनी। साँधे…
बलकल-बसन, धनु-बान पानि, तून कटि, …
बसन बटोरि बोरि-बोरि तेल तमीचर, …
बालधी बिसाल बिकराल, ज्वालजाल मानो …
बावरो रावरो नाह भवानी।दानि बड़ो दिन देत दये…
बिंधिके बासी उदासी तपी ब्रतधारी महा बिनु नारि दुखारे। Read More
जन्म खण्ड-
भइ ओनंत पदुमावति बारी। धज घोरैं…
भई पुछारि…
भए दस मास पूरि भै घरी। पदुमावति…
भनिति बिचित्र सुकबि कृत जोऊ। राम…
भर भादौं दूभर…
भा बैसाख तपनि…
भौंहैं स्याम धनुकु जनु ताना।…
मुखपंकज, कंजबिलोचन मंजु, मनोज-सरासन-सी बनीं भौंहैं। Read More
रजनीचर-मत्तगयंद-घटा बिघटै मृगराजके साज लरै। Read More
नागमती-संदेश खण्ड
रतनसेनि के माइ…
रसना कहौं जो कह रस बाता। अँब्रित…
राम नाम कर अमित प्रभावा । संत पुरान…
राम सरासन तें चले तीर रहे न सरीर हड़ावरि फूटीं। Read More
रोइ गँवाएउ बारह…
लाइ-लाइ आगि भागे बालजाल जहाँ तहाँ, …
लाग कुआर…
लागेउ माँह परै…
लीन्हो उखारि पहारु बिसाल, …
लोथिन सों लोहूके प्रबाह चले जहाँ-तहाँ …
सब सोच-बिमोचन चित्रकूट। कलिहरन, करन कल्यान बूट।। Read More
सर चारिक चारु बनाइ कसें कटि, पानि सरासनु सायकु…
सर-तोमर सेलसमूह पँवारत, मारत बीर निसाचरके।इत…
सरजू बर तीरहिं तीर फिरैं रघुबीर सखा अरु बीर सबै। Read More
सरवर तीर पदुमिनीं आईं। खौपा…
सावन बरिस मेह अतिवानी।…
साँवरे-गोरे सलोने सुभायँ, मनोहरताँ जिति मैनु लियो…
सिव ! सिव ! होइ प्रसन्न करु दाया।करुनामय…
सीस जटा, उर-बाहु बिसाल, बिलोचन लाल, तिरीछी-सी भौंहैं। Read More
सुन्दर बदन, सरसीरुह सुहाए नैन, …
सूर सँजोइल साजि सुबाजि, सुसेल धरैं बगमेल चले हैं। Read More
सेइअ सहित सनेह देह भरि, कामधेनु कलि कासी।समनि…
सेवहु सिव-चरन-सरोज-रेनु। कल्यान-अखिल-प्रद कामधेनु।। Read More
स्रवन सीप दुइ दीप…
हरनि पाप त्रिबिध ताप सुमिरत सुरसरित।बिलसति…
हाथिन सों हाथी मारे, घोरेसों सँघारे घोरे, …
हिया थार कुच कंचन लाडू। कनक कचोर…