चल्यो हनुमानु सुनु जातुधान कालनेमि
पीछेचल्यो हनुमानु सुनु जातुधान कालनेमि
पठयो सो मुनि भयो पायो फलु छलि कै।
सहसा उखारो है पहारु बहु जोजनको,
रखवारे मारे भारे भूरि भट दलि कै।।
बेगु, बलु, साहस, सराहत कृपाल रामु
भरतकी कुसल अचलु ल्यायो चलि कै।
हाथ हरिनाथके बिकाने रघुनाथ जनु
सीलसिंधु तुलसीस भलो मान्यो भलि कै।।