अवधेस के द्वारे सकारें गइ
पीछेअवधेस के द्वारे सकारें गइ सुत गोद कै भूपति लै निकसे।
अवलोकि हौं सोच बिमोचन को ठगि-सी रही, जे न ठगे धिक-से।।
तुलसी मन-रंजन रंजित-अंजन नैन सुखंजन-जातक-से।
सजनी ससि में समसील उभै नवनील सरोरुह-से बिकसे।।
अवधेस के द्वारे सकारें गइ सुत गोद कै भूपति लै निकसे।
अवलोकि हौं सोच बिमोचन को ठगि-सी रही, जे न ठगे धिक-से।।
तुलसी मन-रंजन रंजित-अंजन नैन सुखंजन-जातक-से।
सजनी ससि में समसील उभै नवनील सरोरुह-से बिकसे।।