प्रेम सों पीछें तिरीछें
पीछेप्रेम सों पीछें तिरीछें प्रियाहि चितै चितु दै चले लै चितु चोरैं।
स्याम सरीर पसेउ लसै हुलसै तुलसी छबि सो मन मोरैं।।
लोचन लोल, चलैं भृकुटीं कल काम कमानहु सो तृनु तोरैं।
राजत रामु कुरंगके संग निषंगु कसे धनुसों सरु जोरैं।।
प्रेम सों पीछें तिरीछें प्रियाहि चितै चितु दै चले लै चितु चोरैं।
स्याम सरीर पसेउ लसै हुलसै तुलसी छबि सो मन मोरैं।।
लोचन लोल, चलैं भृकुटीं कल काम कमानहु सो तृनु तोरैं।
राजत रामु कुरंगके संग निषंगु कसे धनुसों सरु जोरैं।।