आगें सोहै साँवरो कुँवरु गोरो पाछें-पाछें
पीछेआगें सोहै साँवरो कुँवरु गोरो पाछें-पाछें,
आछे मुनिबेष धरें, लाजत अनंग हैं।
बान बिसिषासन, बसन बनही के कटि
कसे हैं बनाइ, नीके राजत निषंग हैं।।
साथ निसिनाथमुखी पाथनाथनंदिनी-सी,
तुलसी बिलोकें चितु लाइ लेत संग हैं।
आनँद उमंग मन, जौबन-उमंग तन,
रूप की उमंग उमगत अंग-अंग हैं।।