बिंधिके बासी उदासी तपी

पीछे

बिंधिके बासी उदासी तपी ब्रतधारी महा बिनु नारि दुखारे।
गौतमतीय तरी ‘तुलसी’ सो कथा सुनि भे मुनिबृंद सुखारे।।
ह्वैहैं सिला सब चंदमुखीं परसें पद मंजुल कंज तिहारे।
कीन्ही भली रघुनायकजू ! करुना करि काननको पगु धारे।।

पुस्तक | कवितावली कवि | गोस्वामी तुलसीदास भाषा | अवधी रचनाशैली | मुक्तक छंद | सवैया