बसन बटोरि बोरि-बोरि तेल तमीचर

पीछे

बसन बटोरि बोरि-बोरि तेल तमीचर,
      खोरि-खोरि धाइ आइ बाँधत लँगूर हैं।
तैसो कपि कौतुकी डेरात ढीले गात कै-कै,
      लातके अघात सहै, जीमें कहै, कूर हैं।।
बाल किलकारी कै-कै, तारी दै-दै गारी देत,
      पाछें लागे, बाजत निसान ढोल तूर हैं।
बालधी बढ़न लागी, ठौर-ठौर दीन्ही आगी,
      बिंधिकी दवारि कैधौं कोटिसत सूर हैं।।

पुस्तक | कवितावली कवि | गोस्वामी तुलसीदास भाषा | अवधी रचनाशैली | मुक्तक छंद | कवित्त