तीखे तुरंग कुरंग सुरंगनि साजि
पीछेतीखे तुरंग कुरंग सुरंगनि साजि चढ़े छँटि छैल छबीले।
भारी गुमान जिन्हें मनमें, कबहूँ न भए रनमें तन ढ़ीले।।
तुलसी लखि कै गज केहरि ज्यों झपटे, पटके सब सूर सलीले।
भूमि परे भट भूमि कराहत, हाँकि हने हनुमान हठीले।।
तीखे तुरंग कुरंग सुरंगनि साजि चढ़े छँटि छैल छबीले।
भारी गुमान जिन्हें मनमें, कबहूँ न भए रनमें तन ढ़ीले।।
तुलसी लखि कै गज केहरि ज्यों झपटे, पटके सब सूर सलीले।
भूमि परे भट भूमि कराहत, हाँकि हने हनुमान हठीले।।