कागर कीर ज्यों भूषन-चीर
पीछेकागर कीर ज्यों भूषन-चीर सरीरु लस्यो तजि नीरु ज्यों काई।
मातु-पिता प्रिय लोग सबै सनमानि सुभायँ सनेह सगाई।।
संग सुभामिनि, भाइ भलो, दिन द्वै जनु औध हुते पहुनाईं।
राजिवलोचन रामु चले तजि बाप को राजु बटाउ की नाईं।।
कागर कीर ज्यों भूषन-चीर सरीरु लस्यो तजि नीरु ज्यों काई।
मातु-पिता प्रिय लोग सबै सनमानि सुभायँ सनेह सगाई।।
संग सुभामिनि, भाइ भलो, दिन द्वै जनु औध हुते पहुनाईं।
राजिवलोचन रामु चले तजि बाप को राजु बटाउ की नाईं।।