हाथिन सों हाथी मारे, घोरेसों सँघारे घोरे
पीछेहाथिन सों हाथी मारे, घोरेसों सँघारे घोरे,
रथनि सों रथ बिदरनि बलवानकी।
चंचल चपेट, चोट चरन चकोट चाहें,
हहरानी फौजें भहरानी जातुधानकी।।
बार-बार सेवक-सराहना करत रामु,
तुलसी सराहै रीति साहेब सुजानकी।
लाँबी लूम लसत, लपेटि पटकत भट,
देखौ देखौ, लखन ! लरनि हनुमानकी।।