लोथिन सों लोहूके प्रबाह चले जहाँ-तहाँ
पीछेलोथिन सों लोहूके प्रबाह चले जहाँ-तहाँ
मानहुँ गिरिन्ह गेरु झरना झरत हैं।
श्रोनितसरित घोर कुंजर-करारे भारे,
कूलतें समूल बाजि-बिटप परत हैं।।
सुभट-सरीर नीर-चारी भारी-भारी तहाँ
सूरनि एछाहु कूर कादर डरत हैं।
फेकरि-फेकरि फेरु फारि-फारि पेट खात,
काक-कंक बालक कोलाहलु करत हैं।।