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अकुलानि के पानि पर्यौ दिनराति सु ज्यौ छिनकौ न कहूँ…
अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नैकु सयानप बाँक नहीं। Read More
1. अधर धरत हरि कैं, परत ओठ-डीठि-पट-जोति। Read More
अधिक बधिक तें सुजान, रीति रावरी है, …
अन्तर आँच उसास तचै अति अंग उसीजै उदेग की आवस। Read More
अन्तर उदेग दाह आँखिन प्रवाह-आँसू …
इत बाँट परी सुधि, रावरे भूलनि कैंसे उराहनो दीजियै…
इत भायनि भाँवरे भौंर भरै उत चायनि चाहि चकोर चकैं। Read More
1. ऊँचै चितै सराहियतु गिरह कबूतरु…
एक यही अरमान गीत बन, प्रिय, तुमको अर्पित हो जाऊँ। Read More
कहाँ एतो पानिप बिचारी पिचकारी धरै, …
1. कहा करौं बैकुंठ लै, कल्प बृच्छ…
कारी कूर कोकिला कहाँ को बैर काढ़ति री, …
कुछ साहस दो तो बात कहूँ मैं मन की।देख तुम्हें…
कोऊ आवत है तन स्याम।वैसेइ पट, वैसिय रथ बैठनि,…
क्यों हँसि हेरि हर्यो हियरा अरु क्यौं हित कै चित…
खोय दई बुधि सोय गई सुधि रोय हँसे उनमाद जग्यो है। Read More
घनआनँद जीवनमूल सुजान की कौंधनहूँ न कहूँ दरसै। Read More
घर ही घर चौचँद-चाँचरि दै बहु भाँतिन रंग रचाय रह्यौ। Read More
चंद चकोर की चाह करै घनआनँद स्वाति पपीहा कौं धावै। Read More
चातिक चुहल चहुँ ओर चाहै स्वाति ही को। …
लहर रही शशिकिरण चूम निर्मल यमुना-जल,चूम सरित…
1. नैंकौ उहिं न जुदी करी, हरषि…
जलको गए लक्खनु, हैं लरिका …
जान के रूप लुभाय के नैननि बेंचि करी अधबीच ही लौंडी। Read More
जासों प्रीति ताहि निठुराई सों निपट नेह, …
1. जौ न जुगति पिय मिलन की, धूरि…
तब तौ छबि पीवत जीवत हे, अब सोचन लोचन जात जरे। Read More
1. नेहु न, नैननु कौं कछू उपजी…
दसन-बसन ओली भरियै रहै गुलाल, …
1. हितु करि तुम पठयौ, लगैं वा…
निसि-द्यौस खरी उर-माँझ अरी, छबि रंग-भरी मुरि चाहनि…
1. नैना नैंक न मानहीं, कितौ कह्यौ…
1. पहिरत हीं गोरैं गरैं यौं दौरी…
पहिलें घनआनँद सींचि सुजान कहीं बतियाँ अति प्यार…
नागमती वियोग खण्ड-
पाट महादेइ…
पाप के पुंज सकेलि सु कौन धौं आन घरी मैं बिरंचि…
पीरी परि देह छीनी राजति सनेह भीनी, …
पुरतें निकसी रघुबीरबधू धरि धीर दए मगमें डग द्वै। Read More
पुष्प-गुच्छ-माला दी सबने, तुमने अपने अश्रु छिपाए। Read More
चिर-समाधि में अचिर-प्रकृति जब,तुम अनादि तब…
फागुन महीना की कही ना परै बातै दिन- …
बधिकौ सुधि लेत सुन्यौ हति कै गति रावरी क्यौंहूँ…
बहुत दिये हैं, किस किस पर तू वारेगा पर, हे परवाने। Read More
बिकच नलिन लखें सकुचि मलिन होति, …
बिकल बिषाद-भरे ताहीं की तरफ तकि, …
बिरहा-रबि सौं घट-ब्योम तच्यो बिजुरी सी खिबैं इकली…
भए अति निठुर, मिटाय पहचानि डारी, …
भोर ते साँझ लौ कानन ओर निहारति बावरो नेकु न हारति। Read More
1. मनिसिज माली की उपज, कहि रहीम…
मीत सुजान अनीत करौ जिन, हाहा न हूजियै मोहि अमोही। Read More
मेरी तो हर साँस मुखर है, प्रिय, तेरे सब मौन सँदेसे। Read More
कामायनी-लज्जा सर्ग-
यह आज समझ…
रंग लियौ अबलानि के अंग तें च्वाय कियौ चितचैन को…
राति-द्यौस कटक सजे ही रहै दहै दुख …
रावरे रूप की रीति अनूप, नयो नयो लागत ज्यौं ज्यौं…
इड़ा सर्ग-
वह प्रेम न रह जाये…
वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै …
सीस जटा, उर-बाहु बिसाल, बिलोचन लाल, तिरीछी-सी भौंहैं। Read More
सुधा तें स्रवत बिष, फूल मैं जमत सूल, …
सुनि री सजनी रजनी की कथा इन नैन-चकोरन ज्यौं बितई। Read More
सोंधे की बास उसासहि रोकति चंदन दाहक गाहक जी को। Read More
1. स्वेद-सलिलु, रोमांच-कुसु गहि…
हीन भए जल मीन अधीन कहा कछु मो अकुलानि समाने। Read More