काव्यांश (विषय - प्रेमानुभूति)

अकुलानि के पानि पर्यौ दिनराति

अकुलानि के पानि पर्यौ दिनराति सु ज्यौ छिनकौ न कहूँ…

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अति सूधो सनेह को मारग है

अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नैकु सयानप बाँक नहीं। Read More

अधर धरत हरि कैं

1.    अधर धरत हरि कैं, परत ओठ-डीठि-पट-जोति। Read More

अधिक बधिक तें सुजान, रीति रावरी है

अधिक बधिक तें सुजान, रीति रावरी है,
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अन्तर आँच उसास तचै

अन्तर आँच उसास तचै अति अंग उसीजै उदेग की आवस। Read More

अन्तर उदेग दाह आँखिन प्रवाह-आँसू

अन्तर उदेग दाह आँखिन प्रवाह-आँसू
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इत बाँट परी सुधि

इत बाँट परी सुधि, रावरे भूलनि कैंसे उराहनो दीजियै…

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इत भायनि भाँवरे भौंर भरै

इत भायनि भाँवरे भौंर भरै उत चायनि चाहि चकोर चकैं। Read More

ऊँचै चितै सराहियतु गिरह कबूतरु लेतु

1.    ऊँचै चितै सराहियतु गिरह कबूतरु…

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एक यही अरमान गीत बन, प्रिय, तुमको अर्पित हो जाऊँ

एक यही अरमान गीत बन, प्रिय, तुमको अर्पित हो जाऊँ। Read More

कहाँ एतो पानिप बिचारी पिचकारी धरै

कहाँ एतो पानिप बिचारी पिचकारी धरै,
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कहा करौं बैकुंठ लै, कल्प बृच्छ की छाँह

1.    कहा करौं बैकुंठ लै, कल्प बृच्छ…

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कारी कूर कोकिला कहाँ को बैर काढ़ति री

कारी कूर कोकिला कहाँ को बैर काढ़ति री,
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कुछ साहस दो तो बात कहूँ मैं मन की

कुछ साहस दो तो बात कहूँ मैं मन की।
देख तुम्हें…

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कोऊ आवत है तन स्याम

कोऊ आवत है तन स्याम।
वैसेइ पट, वैसिय रथ बैठनि,…

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क्यों हँसि हेरि हर्यो हियरा

क्यों हँसि हेरि हर्यो हियरा अरु क्यौं हित कै चित…

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खोय दई बुधि सोय गई सुधि

खोय दई बुधि सोय गई सुधि रोय हँसे उनमाद जग्यो है। Read More

घनआनँद जीवनमूल सुजान

घनआनँद जीवनमूल सुजान की कौंधनहूँ न कहूँ दरसै। Read More

घर ही घर चौचँद-चाँचरि दै

घर ही घर चौचँद-चाँचरि दै बहु भाँतिन रंग रचाय रह्यौ। Read More

चंद चकोर की चाह करै

चंद चकोर की चाह करै घनआनँद स्वाति पपीहा कौं धावै। Read More

चातिक चुहल चहुँ ओर चाहै स्वाति ही को

चातिक चुहल चहुँ ओर चाहै स्वाति ही को।
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चुम्बन

लहर रही शशिकिरण चूम निर्मल यमुना-जल,
चूम सरित…

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जलको गए लक्खनु

जलको गए लक्खनु, हैं लरिका
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जान के रूप लुभाय के नैननि

जान के रूप लुभाय के नैननि बेंचि करी अधबीच ही लौंडी। Read More

जासों प्रीति ताहि निठुराई

जासों प्रीति ताहि निठुराई सों निपट नेह,
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तब तौ छबि पीवत जीवत हे

तब तौ छबि पीवत जीवत हे, अब सोचन लोचन जात जरे। Read More

दसन-बसन ओली भरियै रहै गुलाल

दसन-बसन ओली भरियै रहै गुलाल,
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निसि-द्यौस खरी उर-माँझ अरी

निसि-द्यौस खरी उर-माँझ अरी, छबि रंग-भरी मुरि चाहनि…

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नैना नैंक न मानहीं

1.    नैना नैंक न मानहीं, कितौ कह्यौ…

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पहिलें घनआनँद सींचि सुजान

पहिलें घनआनँद सींचि सुजान कहीं बतियाँ अति प्यार…

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पाप के पुंज सकेलि सु कौन

पाप के पुंज सकेलि सु कौन धौं आन घरी मैं बिरंचि…

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पीरी परि देह छीनी राजति सनेह भीनी

पीरी परि देह छीनी राजति सनेह भीनी,
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पुरतें निकसी रघुबीरबधू

पुरतें निकसी रघुबीरबधू धरि धीर दए मगमें डग द्वै। Read More

पुष्प-गुच्छ-माला दी सबने, तुमने अपने अश्रु छिपाए

पुष्प-गुच्छ-माला दी सबने, तुमने अपने अश्रु छिपाए। Read More

प्रेम के प्रति

चिर-समाधि में अचिर-प्रकृति जब,
तुम अनादि तब…

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फागुन महीना की कही ना परै बातै

फागुन महीना की कही ना परै बातै दिन-
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बधिकौ सुधि लेत सुन्यौ हति कै

बधिकौ सुधि लेत सुन्यौ हति कै गति रावरी क्यौंहूँ…

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बहुत दिये हैं, किस किस पर तू वारेगा पर

बहुत दिये हैं, किस किस पर तू वारेगा पर, हे परवाने। Read More

बिकच नलिन लखें सकुचि मलिन होति

बिकच नलिन लखें सकुचि मलिन होति,
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बिकल बिषाद-भरे ताहीं की तरफ तकि

बिकल बिषाद-भरे ताहीं की तरफ तकि,
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बिरहा-रबि सौं घट-ब्योम तच्यो

बिरहा-रबि सौं घट-ब्योम तच्यो बिजुरी सी खिबैं इकली…

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भए अति निठुर, मिटाय पहचानि डारी

भए अति निठुर, मिटाय पहचानि डारी,
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भोर ते साँझ लौ कानन ओर

भोर ते साँझ लौ कानन ओर निहारति बावरो नेकु न हारति। Read More

मनिसिज माली की उपज, कहि रहीम नहिं जाय

1.    मनिसिज माली की उपज, कहि रहीम…

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मीत सुजान अनीत करौ जिन

मीत सुजान अनीत करौ जिन, हाहा न हूजियै मोहि अमोही। Read More

मेरी तो हर साँस मुखर है, प्रिय, तेरे सब मौन सँदेसे

मेरी तो हर साँस मुखर है, प्रिय, तेरे सब मौन सँदेसे। Read More

रंग लियौ अबलानि के अंग तें

रंग लियौ अबलानि के अंग तें च्वाय कियौ चितचैन को…

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राति-द्यौस कटक सजे ही रहै दहै दुख

राति-द्यौस कटक सजे ही रहै दहै दुख
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रावरे रूप की रीति अनूप

रावरे रूप की रीति अनूप, नयो नयो लागत ज्यौं ज्यौं…

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वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि

वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै
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सीस जटा, उर-बाहु बिसाल

सीस जटा, उर-बाहु बिसाल, बिलोचन लाल, तिरीछी-सी भौंहैं। Read More

सुधा तें स्रवत बिष, फूल मैं जमत सूल

सुधा तें स्रवत बिष, फूल मैं जमत सूल,
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सुनि री सजनी रजनी की कथा

सुनि री सजनी रजनी की कथा इन नैन-चकोरन ज्यौं बितई। Read More

सोंधे की बास उसासहि रोकति

सोंधे की बास उसासहि रोकति चंदन दाहक गाहक जी को। Read More

हीन भए जल मीन अधीन

हीन भए जल मीन अधीन कहा कछु मो अकुलानि समाने। Read More