काव्यांश (कवि - सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला)

उन चरणों में मुझे दो शरण

उन चरणों में मुझे दो शरण।
इस जीवन को करो हे…

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कहाँ देश है ?

‘अभी और है कितनी दूर तुम्हारा प्यारा देश…

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काले-काले बादल छाये....

काले-काले बादल छाये, न आये वीर जवाहरलाल,
कैसे-कैसे…

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किनारा वह हमसे ....

किनारा वह हमसे किये जा रहे हैं।
दिखाने को…

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क्या गाऊँ ?

क्या गाऊँ ?-माँ! क्या गाऊँ ?

गूँज रही हैं…

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खँडहर के प्रति

खँडहर ! खड़े हो तुम आज भी ?
अद्भुत अज्ञात उस…

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गिराया है जमीं होकर...

गिराया है जमीं होकर, छुटाया आसमाँ होकर।
निकाला,…

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चर्खा चला

वेदों का चर्खा चला,
सदियाँ गुजरीं।
लोग-बाग…

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चुम्बन

लहर रही शशिकिरण चूम निर्मल यमुना-जल,
चूम सरित…

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जागो फिर एक बार

जागो फिर एक बार!

समर में अमर कर प्राण, Read More

ज्येष्ठ

ज्येष्ठ! क्रूरता-कर्कशता के ज्येष्ठ! सृष्टि के…

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दगा की

चेहरा पीला पड़ा।
रीढ़ झुकी। हाथ जोड़े।
आँख…

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दलित जन पर करो करुणा

दलित जन पर करो करुणा।
दीनता पर उतर आये Read More

दान

वासन्ती की गोद में तरुण,
सोहता स्वस्थ-मुख…

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दान

मैं प्रातः पर्यटनार्थ चला
लौटा, आ पुल पर खड़ा…

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दान

फिर देखा, उस पुल के ऊपर
बहुसंख्यक बैठे हैं…

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दिल्ली

क्या यह वही देश है-
भीमार्जुन आदि का कीर्तिक्षेत्र, Read More

धूलि में तुम मुझे भर दो

धूलि में तुम मुझे भर दो।
धूलि-धूसर जो हुए…

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ध्वनि

अभी न होगा मेरा अन्त।
अभी-अभी ही तो आया है Read More

नूपुर के सुर मन्द रहे

नूपुर के सुर मन्द रहे,
जब न चरण स्वच्छन्द…

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पतनोन्मुख

हमारा डूब रहा दिनमान!

मास-मास दिन-दिन प्रतिपल Read More

प्रगल्भ प्रेम

आज नहीं है मुझे और कुछ चाह
अर्धविकच इस हृदय-कमल…

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प्रार्थना

जीवन प्रात-समीरण-सा लघु
विचरण-निरत करो। Read More

प्रेम के प्रति

चिर-समाधि में अचिर-प्रकृति जब,
तुम अनादि तब…

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बदली जो उनकी आँखें...

बदली जो उनकी आँखें, इरादा बदल गया।
गुल जैसे…

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बादल छाये

बादल छाये,
ये मेरे अपने सपने
   …

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बाहर मैं कर दिया गया हूँ

बाहर मैं कर दिया गया हूँ। भीतर, पर, भर दिया गया…

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भाव जो छलके पदों पर

भाव जो छलके पदों पर,
न हों हलके, न हों नश्वर। Read More

भेद कुल खुल जाय वह

भेद कुल खुल जाय वह सूरत हमारे दिल में है।
देश…

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यमुना के प्रति

स्वप्नों-सी उन किन आँखों की
पल्लव छाया में…

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राजे ने अपनी रखवाली की

राजे ने अपनी रखवाली की;
किला बनाकर रहा; Read More

वीणावादिनी

तव भक्त भ्रमरों को हृदय में लिये वह शतदल विमल Read More

सच है

यह सच है:-
तुमने जो दिया दान दान वह,
हिन्दी…

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सन्तप्त

अपने अतीत का ध्यान
करता मैं गाता था गाने भूले…

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स्नेह-निर्झर बह गया है

स्नेह-निर्झर बह गया है।
रेत ज्यों तन रह गया…

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