काव्यांश (पुस्तक - सूरसागर (भ्रमरगीतसार))

अँखियाँ हरि दरसन की भूखी

अँखियाँ हरि दरसन की भूखी।
कैसे रहैं रूपरसराची…

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अति मलीन बृषभानुकुमारी

अति मलीन बृषभानुकुमारी।
हरि स्रमजल अंतर तनु…

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आए जोग सिखावन पाँड़े

आए जोग सिखावन पाँड़े।
परमारथी पुराननि लादे…

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आयो घोष बड़ो व्यापारी

आयो घोष बड़ो व्यापारी।
लाद खेंप गुन ज्ञान जोग…

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उद्धव ! बेगिही ब्रज जाहु

उद्धव ! बेगिही ब्रज जाहु।
सुरति सँदेस सुनाय…

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उद्धव मन अभिलाष बढ़ायो

उद्धव मन अभिलाष बढ़ायो।
जदुपति जोग जानि जिय…

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उपमा एक न नैन गही

उपमा एक न नैन गही।
कबिजन कहत चलि आए सुधि करि…

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उर में माखनचार गड़े

उर में माखनचार गड़े।
अब कैसहु निकसत नहिं, ऊधो!…

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ऊधो!  मन माने की बात

ऊधो!  मन माने की बात।
जरत पतंग दीप में…

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ऊधो! अब यह समुझ भई

ऊधो! अब यह समुझ भई।
नँदनंदन के अंग अंग प्रति…

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ऊधो! इतनी कहियो जाय

ऊधो! इतनी कहियो जाय।
अति कृसगात भई हैं तुम…

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ऊधो! क्यों राखै ये नैन

ऊधो! क्यों राखै ये नैन ?
सुमिरि सुमिरि गुन…

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ऊधो! जाहु तुम्है हम जानै

ऊधो! जाहु तुम्है हम जानै।
स्याम तुम्है ह्याँ…

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ऊधो! जुवतिन ओर निहारौ

ऊधो! जुवतिन ओर निहारौ।
तब यह जोग मोट हम आगे…

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ऊधो! जोग बिसरि जनि जाहु

ऊधो! जोग बिसरि जनि जाहु।
बाँधहु गाँठि कहूँ…

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ऊधो! जोग सुन्यो हम दुर्लभ

ऊधो! जोग सुन्यो हम दुर्लभ।
आपु कहत हम सुनत…

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ऊधो! तुम अति चतुर सुजान

ऊधो! तुम अति चतुर सुजान।
जेहि पहिले रँग रँगी…

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ऊधो! तुम हौ अति बड़भागी

ऊधो! तुम हौ अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा…

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ऊधो! ना हम बिरही, ना तुम दास

ऊधो! ना हम बिरही, ना तुम दास।
कहत सुनत घट…

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ऊधो! प्रीति न मरन बिचारै

ऊधो! प्रीति न मरन बिचारै।
प्रीति पतंग जरै…

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ऊधो! ब्रज की दसा बिचारो

ऊधो! ब्रज की दसा बिचारो।
ता पाछे यह सिद्धि…

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ऊधो! ब्रज में पैठ करी

ऊधो! ब्रज में पैठ करी।
यह निर्गुन गाँठरी अब…

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ऊधो! भली करी तुम आए

ऊधो! भली करी तुम आए।
ये बातें कहि कहि या दुख…

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ऊधो! मन नहिं हाथ हमारे

ऊधो! मन नहिं हाथ हमारे।
रथ चढ़ाय हरि संग गए…

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ऊधो! हम अजान मति भोरी

ऊधो! हम अजान मति भोरी।
जानति है ते जोग की…

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ऊधो! हम आजु भई बड़ भागी

ऊधो! हम आजु भई बड़ भागी।
जैसे सुमन गंध लै आवतु…

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ऐसी बात कहौ जनि ऊधो

ऐसी बात कहौ जनि ऊधो!
ज्यो त्रिदोष उपजे जक…

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ऐसेई जन दूत कहावत

ऐसेई जन दूत कहावत।
मोको एक अचंभो आवत यामें…

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कबहुँ सुधि करत गोपाल हमारी

कबहुँ सुधि करत गोपाल हमारी।
पूछत नंद पिता…

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कहाँ लगि मानिए अपनी चूक

कहाँ लगि मानिए अपनी चूक।
बिन गोपाल, ऊधो, मेरी…

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कहिबे जोय न कछु सक राखो

कहिबे जोय न कछु सक राखो।
लावा मेलि दए हैं…

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कहियो नंद कठोर भए

कहियो नंद कठोर भए।
हम दोउ बीरैं डारि परघरै…

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कहौ लौ कीजै बहुत बड़ाई

कहौ लौ कीजै बहुत बड़ाई।
अतिहि अगाध अपार अगोचर…

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काहे को रोकत मारग सूधो

काहे को रोकत मारग सूधो ?
सुनहु मधुप ! निर्गुन…

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कोउ ब्रज बाँचत नाहिंन पाती

कोउ ब्रज बाँचत नाहिंन पाती।
कत लिखि लिखि पठवत…

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कोऊ आवत है तन स्याम

कोऊ आवत है तन स्याम।
वैसेइ पट, वैसिय रथ बैठनि,…

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गोकुल सबै गोपाल उपासी

गोकुल सबै गोपाल उपासी।
जोग अंग साधत जे ऊधो…

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जीवन मुँहचाही को नीको

जीवन मुँहचाही को नीको।
दरस परस दिनरात करति…

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जोग ठगौरी ब्रज न बिकैहै

जोग ठगौरी ब्रज न बिकैहै।
यह ब्योपार तिहारो…

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तबहि उपँगसुत आय गए

तबहि उपँगसुत आय गए।
सखा सखा कछु अंतर नाहीं…

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तिहारी प्रीति किधौं तरवारि

तिहारी प्रीति किधौं तरवारि ?
दृष्टिधार करि…

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तेरो बुरो न कोऊ मानै

तेरो बुरो न कोऊ मानै।
रस की बात मधुप नीरस,…

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तौ हम मानैं बात तुम्हारी

तौ हम मानैं बात तुम्हारी।
अपनो ब्रह्म दिखावहु…

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नयननि वहै रूप जौ देख्यो

नयननि वहै रूप जौ देख्यो।
तौ ऊधो यह जीवन जग…

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नाहिं न रह्यो मन में ठौर

नाहिं न रह्यो मन में ठौर।
नंदनंदन अछत कैसे…

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निरखत अंक स्यामसुंदर के बार बार लावति छाती

निरखत अंक स्यामसुंदर के बार बार लावति छाती। Read More

निर्गुन कौन देस को वासी

निर्गुन कौन देस को वासी ?
मधुकर ! हँसि समुझाय,…

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नीके रहियो जसुमति मैया

नीके रहियो जसुमति मैया।
आवैंगे दिन चारि पाँच…

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पथिक ! सँदेसो कहियो जाय

पथिक ! सँदेसो कहियो जाय।
आवैंगे हम दोनों भैया,…

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पाती सखि! मधुबन तें आई

पाती सखि! मधुबन तें आई।
ऊधो हाथ स्याम लिखि…

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प्रकृति जोइ जाके अंग परी

प्रकृति जोइ जाके अंग परी।
स्वानपूँछ कोटिक…

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फिरि फिरि कहा सिखावत मौन

फिरि फिरि कहा सिखावत मौन।
दुसह वचन अलि यों…

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बरु वै कुब्जा भलो कियो

बरु वै कुब्जा भलो कियो।
सुनि सुनि समाचार ऊधो…

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बिन गोपाल बैरिन भई कुंजैं

बिन गोपाल बैरिन भई कुंजैं।
तब ये लता लगति…

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बिलग जनि मानहु, ऊधो प्यारे

बिलग जनि मानहु, ऊधो प्यारे।
वह मथुरा काजर…

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ब्रजनन सकल स्याम ब्रतधारी

ब्रजनन सकल स्याम ब्रतधारी।
बिन गोपाल और नहिं…

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मधुकर! ये नयना पै हारे

मधुकर! ये नयना पै हारे।
निरखि निरखि मग कमलनयन…

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मधुकर! ल्याए जोग सँदेसो

मधुकर! ल्याए जोग सँदेसो।
भली स्याम कुसलात…

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मधुकर! हम न होहि वे बेली

मधुकर! हम न होहि वे बेली।
जिनको तुम तजि भजत…

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लरिकाई को प्रेम, कहो अलि

लरिकाई को प्रेम, कहो अलि, कैसे करिकै छूटत।
कहा…

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सँदेसनि मधुबन कूप भरे

सँदेसनि मधुबन कूप भरे।
जे कोउ पथिक गए हैं…

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सुनियो एक सँदेसो ऊधो तुम गोकुल को जात

सुनियो एक सँदेसो ऊधो तुम गोकुल को जात।
ता…

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हम तो कान्ह केलि की भूखी

हम तो कान्ह केलि की भूखी।
कैसे निरगुन सुनहि…

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हम तो नंदघोष की बासी

हम तो नंदघोष की बासी।
नाम गोपाल जाति कुल गोपहि,…

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हमको हरि की कथा सुनाव

हमको हरि की कथा सुनाव।
अपनी ज्ञानकथा हो, ऊधो…

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हमसों कहत कौन की बातें ?

हमसों कहत कौन की बातें ?
सुनि ऊधो ! हम समुझत…

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हमारे हरि हारिल की लकरी

हमारे हरि हारिल की लकरी।
मन बच क्रम नँदनंदन…

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हरि काहे के अंतर्जामी

हरि काहे के अंतर्जामी ?
जौ हरि मिलत नाहिं…

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हरि सों भलो सो पति सीता को

हरि सों भलो सो पति सीता को।
बन बन खोजत फिरत…

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हरिमुख निरखि निमुख बिसारे

हरिमुख निरखि निमुख बिसारे।
ता दिन तें मनो…

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