गद्यांश (विधा - उपन्यास)

अखबार के एडीटर की इस लिखावट सै क्या, क्या बातें मालूम होती हैं

एक अखबार के एडीटर की इस लिखावट सै क्या, क्या बातें मालूम होती हैं ? प्रथम तो यह है कि हिंदुस्थान…

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अनामदास का पोथा अथ रैक्व आख्यान

 उन दिनों देश का अधिकांश भाग जंगलों से घिरा हुआ था। इन जंगलों में जहाँ अनेक हिंसक जन्तु फैले…

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अपने को निःशेष भाव से दे देने को ही वशीकरण कहते हैं

योगी ने ठीक ही कहा था, अपने को निःशेष भाव से दे देने को ही वशीकरण कहते हैं। अन्तिम जीवन में मौखरि-नरेश…

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अपने जीवन में फिर से वापस लौटना

अपने जीवन में फिर से वापस लौटना या कि आत्मकथा जैसा कुछ लिखना कितनी बड़ी यातना है। जीवन में जहाँ गरमाहट…

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अपनें पतिको किसी समय मौकेसै नैक सलाह भी देती है

मदनमोहन की स्त्री अपनें पतिको किसी समय मौकेसै नैक सलाह भी देती है परंतु बड़ोंकी तरह दबाकर नहीं। बराबर…

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अमृत के पुत्रों, मृत्यु का भय माया है

अमृत के पुत्रों, मृत्यु का भय माया है, राजा से भय दुर्बल चित्त का विकल्प है। ........ अमृत के पुत्रों,…

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आर्यावर्त्त-जैसी विचित्र समाज-व्यवस्था मैंने कहीं नहीं देखी है

आर्यावर्त्त-जैसी विचित्र समाज-व्यवस्था मैंने कहीं नहीं देखी है। यहाँ इतना स्तर-भेद है कि मुझे आश्चर्य…

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इंडिया की छवि

रोहित से उसने कभी नहीं पूछा कि क्या उसका दिल उससे कभी यह नहीं कहता कि तुम पराए लोगों के बीच रहते…

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इस ब्रह्माण्ड का प्रत्येक अणु देवता है

देख रे, तेरे शास्त्र तुझे धोखा देते हैं। जो तेरे भीतर सत्य है, उसे दबाने को कहते हैं; जो तेरे भीतर…

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उसके सारे शरीर से स्वच्छ कान्ति प्रवाहित हो रही थी

मैंने इस बार स्वाभाविक संकोच छोड़कर इस कमनीयता की मूर्त्ति की ओर देखा। उसको देखकर अत्यन्त पतित व्यक्ति…

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एकान्त का तप बड़ा तप नहीं है

“एकान्त का तप बड़ा तप नहीं है, बेटा! देखो, संसार में कितना कष्ट है, रोग है, शोक है, दरिद्रता…

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कविता, भगवती महामाया की इच्छा-शक्ति है

देवरात शान्त वाणी में बोले, “कविता, भगवती महामाया की इच्छा-शक्ति है, व्यवहार- जगत् उनकी क्रिया-शक्ति…

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कहाँ जाने एक कवि आ गया

जानती है, अनादि काल से तितली फूल के इर्द-गिर्द चक्कर काट रही है, लता वृक्ष को आच्छादित करके उल्लसित…

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कहीं-न-कहीं मनुष्य-समाज ने अवश्य गलती की है

इस रास्ते से उल्लास और उन्माद चाहे गये हों, अनुराग और औत्सुक्य नहीं गये। यह सब क्यों हो रहा है ?…

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कुछ सुना, कुछ कहा-सब बीत जाता है

कुछ सुना, कुछ कहा-सब बीत जाता है। ऐसे जैसे कभी हुआ ही नहीं हो या किसी और के जीवन में हुआ हो। शब्द…

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कोई आदमी जब मरता है

कोई आदमी जब मरता है, तो शायद साल-भर तक उसकी मौजूदगी हर किसी के दिमाग में बनी रहती है। बरसी होने के…

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चन्द्रमा पद्म-मधु से रँगे हुए वृद्ध कलहंस की भाँति

देखते-देखते चन्द्रमा पद्म-मधु से रँगे हुए वृद्ध कलहंस की भाँति आकाशगंगा के पुलिन से उदास भाव से पश्चिम…

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चित्त तो उचित व्यवहारसै प्रसन्न रहता है

लाला ब्रजकिशोर कहनें लगे, ‘‘मुनासिब रीति सै थोड़े खर्च मैं सब तरहका सुख मिल सक्ता है परंतु…

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जवानों, प्रत्यन्त-दस्यु आ रहे हैं

गान अपभ्रंश भाषा में था। भैरवियों ने गाया--

“अमृत के पुत्रों, नगाधिराज हिमालय की शीतल…

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जहाँ कहीं अपने-आपको उत्सर्ग करने की

जहाँ कहीं अपने-आपको उत्सर्ग करने की, अपने-आपको खपा देने की भावना प्रधान है, वहीं नारी है। जहाँ कहीं…

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जातीय बहिष्कार जाति-मुक्त नहीं करता

अपना पैसा गाँठ में होने के बावजूद लन्दन जाने के लिए मोहनदास को दूसरों से कर्ज लेना पड़ा था। अगर न…

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जितने बँधे-बँधाये नियम और आचार हैं उनमें धर्म अँटता नहीं

मैं आज स्पष्ट देख रहा हूँ कि जितने बँधे-बँधाये नियम और आचार हैं उनमें धर्म अँटता नहीं। वह नियमों…

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जीवन-भर का कैदी, मृत्यु के समय भी कैदी

जिस कमरे में महादेव भाई का शव रखा था, उसे फूलों से सजाया गया था। कुछ घंटों तक सबके दर्शनों के लिए…

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तर्क वस्तु ही गलत है

तर्क वस्तु ही गलत है। भगवान् ने जीवन में करुणा को प्रतिष्ठित करना चाहा था। जिसमें वह करुणा नहीं,…

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देख रे, तेरा बाप शास्त्र का बड़ा भारी पंडित है

“देख रे, तेरा बाप शास्त्र का बड़ा भारी पंडित है। काव्य का, संगीत का, चित्र का, मूर्त्ति का सहृदय…

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देवि, पावक को कभी कलंक स्पर्श नहीं करता

देवि, पावक को कभी कलंक स्पर्श नहीं करता, दीपशिखा को अन्धकार की कालिमा नहीं लगती, चन्द्र-मण्डल को…

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धन्य ! लालासाहब! धन्य !

‘‘धन्य ! लालासाहब! धन्य ! अब तो आपके सुधरे हुए बिचार हद्द के दरजें पर पहुँच गए’’…

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पत्नी का भी अपना जीवन होता है

कैसे समझाती कि पत्नी का भी अपना जीवन होता है ? जीवन जीने का हर किसी का एक अपना अन्दाज होता है ? उसने…

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पार्वती की तपस्या से सच्चे प्रेम के देवता आविर्भूत हुए थे

कालिदास ने प्रेम के देवता को वैराग्य की नयनाग्नि से भस्म नहीं कराया है, बल्कि उसे तपस्या के भीतर…

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पिता ने दूब के नाल के साथ कस्तूरबा का हाथ मोहनदास के हाथ में दिया

फिर पिता गोकुलदास खड़े हुए और समय, कल्प, युग, जम्बूद्वीप, देश, वर्ष, मौसम, दिन, नगर, नक्षत्रों की…

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पुत्र-पौत्र स्त्री जीवन की बड़ी उपलब्धि होती है

शायद पुत्र-पौत्र स्त्री जीवन की उतनी ही बड़ी उपलब्धि होती है जितनी बड़ी एक स्वतंत्रता सेनानी के लिए…

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पुरुष निःसंग है, स्त्री आसक्त

“देख बाबा, तू व्यर्थ की बहस करने जा रहा है। बाबा ने जो कुछ कहा है वह पुरुष का सत्य है। स्त्री…

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प्रकृति को सुनियन्त्रित रूप से चलाने का नाम ही संस्कृति है

“देख रहे हो न, कि मृत्यु सबको निगलने के लिए मुँह बाए खड़ी है, और फिर भी लोग जीना चाहते हैं ?…

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प्रीती के बराबर संसार मैं कौन्सा पदार्थ है

‘‘प्रीती के बराबर संसार मैं कौन्सा पदार्थ है?’’ लाला मदनमोहन कहनें लगे और…

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फुटकल पंक्तियाँ

स्नेह बड़ी दारुण वस्तु है, ममता बड़ी प्रचण्ड शक्ति है।
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पर मेरा भाग्य अब भी किसी अदृष्ट…

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बदला लेने का तो इस्सै अच्छा दूसरा रास्ता ही नहीं है

‘‘ये बस बातें हँसी खुशी मैं याद आती हैं। क्रोध मैं बदला लिए बिना किसी तरह चित्त का संतोष…

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बा की फुटकल पंक्तियाँ


रूप हो या शान-शौकत, अगर कोई कद्रदान न हो तो वह छीजते-छीजते साकार कुरूपता में बदल जाता है। Read More

भाषा की कमजोरी

वस्तुस्थिति यह है आयुष्मान्, कि शून्यता या निरालम्ब या निर्वाण एक अनुभवगम्य वस्तु है। भाषा की कमजोरी…

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मनुष्य के मन मैं ईश्वरने अनेक प्रकार की वृत्ति उत्पन्न की हैं

‘‘उपाय करने की कुछ जरूरत नहीं हैं, समय पाकर सब अपनें आप खुल जाता है’’ लाला…

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मानव-देह केवल दण्ड भोगने के लिए नहीं बनी है

“मानव-देह केवल दण्ड भोगने के लिए नहीं बनी है, आर्य ! यह विधाता की सर्वाेत्तम सृष्टि है। यह…

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मुझे सबसे दयनीय, चन्द्रमा में का वह मृग लगा

चन्द्रमा निश्चय ही देर से आकाश पर विचर रहा था। उदय काल में जो एक लालिमा रहा करती है, उसका कहीं कोई…

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यह ‘मिडनाइट चिल्ड्रेन‘ की पीढ़ी है

जयदीप को लगता है कि इस देश में कोई भी बड़े से बड़ा चोर, डाकू, लुटेरा, खूनी नहीं है जो आदर्शों की बात…

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यह दुनिया बेमेल आदमियों और औरतों से भरी पड़ी है

जाने यह देश या कि कहें यह दुनिया बेमेल आदमियों और औरतों से भरी पड़ी है। कुछ लोग नियति मानकर उस बेमेलपन…

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यह पग-पग का बन्धन, श्वास-श्वास का दमन अभिनय ही तो है

जो वास्तव है उसको दबाना और जो अवास्तव है उसका आचरण करना--यही तो अभिनय है। .......... यह पग-पग का…

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रंगमंच का निर्माण

रंगमंच का निर्माण बड़े आडम्बर के साथ हुआ। हजारों कर्मकर उसमें लगाए गए। उन दिनों रंगमंच का निर्माण…

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राजा तो कर्मचारियों की आँख से देखता है

राजा जानश्रुति को आचार्य औदुम्बरायण ने जब सारी बातें बताईं तो वे जैसे सोते से अचकचाकर जागे-“मुझे…

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लाला मदनमोहन को थोड़ी देर उस्की बनावट देखनी पड़ी

थोड़ी देर पीछै वह लाला मदनमोहनको लिवानें आया और बड़े शिष्टाचारसै लिवा ले जाकर उन्हैं तकियेके सहारे…

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ले-देकर आदमी के पास एक ही जिन्दगी है

जयगोविन्द पीछे मुड़कर जीवन को देखता है तो लगता है कि यदि आदमी को पता रहता कि उसका भाग्य और उसके देश…

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लोक-ताप से तप्त होना सबसे बड़ा तप है

ऋषि और भी प्रीत जान पड़े। बोले, “साधु वत्स, तुम्हारा संकल्प महान है। तुम अपनी माताजी के साथ…

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वहाँ की शोभाका क्या पूछना

‘‘आह! वहाँ की शोभाका क्या पूछना है? आमके मौर की सुगंधी सै सब अमरैयें महक रही है। उन्की…

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विवाह में जो आपसी बातचीत होती है वही हिंकार है

“प्रजापति ने देवताओं के स्वामी इन्द्र को वामदेव्य साम का रहस्य समझाया था। उन्होंने कहा था,…

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वीर शब्द की व्याख्या

“मैं जानता हूँ, तू वीर-बाला है। जानती है, प्रातृद ने अपने पिता से ‘वीर‘ शब्द की…

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सत्य इस समाज-व्यवस्था में प्रच्छन्न होकर वास कर रहा है

जो समाज-व्यवस्था झूठ को प्रश्रय देने के लिए ही तैयार की गई है, उसे मानकर अगर कोई कल्याण-कार्य करना…

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सत्य से च्युत न होना

तुम्हें पूर्ण रूप से शास्त्रज्ञ बनना है, उसके बाद सभी बातों की शास्त्रीय विधि से परीक्षा करने के…

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सभी स्त्रियों को पारिवारिक सम्बन्धों में ही क्यों पुकारा जाता है

“अच्छा माँ, सभी स्त्रियों को पारिवारिक सम्बन्धों में ही क्यों पुकारा जाता है ?“
“अपने…

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सिद्धि को साधन समझना कच्चे चित्त की कच्ची कल्पना है

सिद्धि को साधन समझना कच्चे चित्त की कच्ची कल्पना है। ......... मुझे अवधूत अधोरभैरव के वाक्य याद आये,…

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सुकुमार बालिकाओं के लिए महिष-मर्दन सम्भव नहीं है

एक बार उसे लगता था कि उसके पिता ठीक ही कह रहे हैं। महिषमर्दिनी देवी केवल भावों की दुनिया में रह सकती…

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स्त्रियाँ ही रत्नों को भूषित करती हैं

स्त्रियाँ ही रत्नों को भूषित करती हैं, रत्न स्त्रियों को क्या भूषित करेंगे ! स्त्रियाँ तो रत्न के…

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स्थाणीश्वर ने राजलक्ष्मी का अपमान किया है

मुझे स्थाणीश्वर के लम्पट राजकुल के अंतःपुर के विषय में श्रद्धा नहीं है। जहाँ चौर्य-लब्ध अत्याचारिता…

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हर जीवित चीज की एक उम्र होती है

हर जीवित चीज की एक उम्र होती है, वैसे ही हर जड़ चीज की, मसलन एक मकान की भी एक उम्र होती है। यहाँ तक…

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हर व्यक्ति का अपना एक सत्य होता है

“मैं समझता हूँ कि हर व्यक्ति का अपना एक सत्य होता है। तुम्हारा भी है। है न?
“शायद!“ Read More

हर समूह अपने माने हुए सही या गलत के लिए एकजुट होकर लड़ रहा है

आदमियों का हर समूह अपने माने हुए सही या गलत के लिए एकजुट होकर लड़ रहा है-चाहे वह कोई देश हो या जाति…

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