भाषा की कमजोरी

पीछे

वस्तुस्थिति यह है आयुष्मान्, कि शून्यता या निरालम्ब या निर्वाण एक अनुभवगम्य वस्तु है। भाषा की कमजोरी है कि वह उस पदार्थ को कह नहीं सकती। यह तो केवल प्रज्ञप्ति के लिए एक कामचलाऊ शब्द व्यवहार किया गया है। तू उसके शब्दार्थ पर मत जा। मनन कर। यह गुह्य रहस्य है। केवल पुस्तक पढ़ने से तू इसे नहीं समझ पायेगा। ..................... आचार्यों ने ज्ञान का दीपक जलाया है। दीपक क्या है, इसकी ओर अगर ध्यान देगा, तो उसके प्रकाश में उद्भासित वस्तुओं को नहीं देख सकेगा।

पुस्तक | बाणभट्ट की आत्मकथा लेखक | आ0 हजारी प्रसाद द्विवेदी भाषा | खड़ी बोली विधा | उपन्यास
विषय | भाषा,