गद्यांश (लेखक - आ0 हजारी प्रसाद द्विवेदी)
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>आक्रोश
>आत्मसम्मान
>आदर्श
उन दिनों देश का अधिकांश भाग जंगलों से घिरा हुआ था। इन जंगलों में जहाँ अनेक हिंसक जन्तु फैले…
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योगी ने ठीक ही कहा था, अपने को निःशेष भाव से दे देने को ही वशीकरण कहते हैं। अन्तिम जीवन में मौखरि-नरेश…
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अमृत के पुत्रों, मृत्यु का भय माया है, राजा से भय दुर्बल चित्त का विकल्प है। ........ अमृत के पुत्रों,…
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गंधर्व और कंदर्प वस्तुतः एक ही शब्द के भिन्न-भिन्न उच्चारण हैं।
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आर्यावर्त्त-जैसी विचित्र समाज-व्यवस्था मैंने कहीं नहीं देखी है। यहाँ इतना स्तर-भेद है कि मुझे आश्चर्य…
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देख रे, तेरे शास्त्र तुझे धोखा देते हैं। जो तेरे भीतर सत्य है, उसे दबाने को कहते हैं; जो तेरे भीतर…
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मैंने इस बार स्वाभाविक संकोच छोड़कर इस कमनीयता की मूर्त्ति की ओर देखा। उसको देखकर अत्यन्त पतित व्यक्ति…
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“एकान्त का तप बड़ा तप नहीं है, बेटा! देखो, संसार में कितना कष्ट है, रोग है, शोक है, दरिद्रता…
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देवरात शान्त वाणी में बोले, “कविता, भगवती महामाया की इच्छा-शक्ति है, व्यवहार- जगत् उनकी क्रिया-शक्ति…
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जानती है, अनादि काल से तितली फूल के इर्द-गिर्द चक्कर काट रही है, लता वृक्ष को आच्छादित करके उल्लसित…
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इस रास्ते से उल्लास और उन्माद चाहे गये हों, अनुराग और औत्सुक्य नहीं गये। यह सब क्यों हो रहा है ?…
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दुनिया है कि मतलब से मतलब है, रस चूस लेती है छिलका और गुठली फेंक देती है।
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संप्रदाय-स्थापना का अभिशाप यह है कि उसके भीतर रहनेवाले का स्वाधीन चिंतन कम हो जाता है। संप्रदाय की…
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देखते-देखते चन्द्रमा पद्म-मधु से रँगे हुए वृद्ध कलहंस की भाँति आकाशगंगा के पुलिन से उदास भाव से पश्चिम…
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गान अपभ्रंश भाषा में था। भैरवियों ने गाया--
“अमृत के पुत्रों, नगाधिराज हिमालय की शीतल…
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जहाँ कहीं अपने-आपको उत्सर्ग करने की, अपने-आपको खपा देने की भावना प्रधान है, वहीं नारी है। जहाँ कहीं…
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मैं आज स्पष्ट देख रहा हूँ कि जितने बँधे-बँधाये नियम और आचार हैं उनमें धर्म अँटता नहीं। वह नियमों…
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तर्क वस्तु ही गलत है। भगवान् ने जीवन में करुणा को प्रतिष्ठित करना चाहा था। जिसमें वह करुणा नहीं,…
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“देख रे, तेरा बाप शास्त्र का बड़ा भारी पंडित है। काव्य का, संगीत का, चित्र का, मूर्त्ति का सहृदय…
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देवि, पावक को कभी कलंक स्पर्श नहीं करता, दीपशिखा को अन्धकार की कालिमा नहीं लगती, चन्द्र-मण्डल को…
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कालिदास ने प्रेम के देवता को वैराग्य की नयनाग्नि से भस्म नहीं कराया है, बल्कि उसे तपस्या के भीतर…
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“देख बाबा, तू व्यर्थ की बहस करने जा रहा है। बाबा ने जो कुछ कहा है वह पुरुष का सत्य है। स्त्री…
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“देख रहे हो न, कि मृत्यु सबको निगलने के लिए मुँह बाए खड़ी है, और फिर भी लोग जीना चाहते हैं ?…
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स्नेह बड़ी दारुण वस्तु है, ममता बड़ी प्रचण्ड शक्ति है।
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पर मेरा भाग्य अब भी किसी अदृष्ट…
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वस्तुस्थिति यह है आयुष्मान्, कि शून्यता या निरालम्ब या निर्वाण एक अनुभवगम्य वस्तु है। भाषा की कमजोरी…
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“मानव-देह केवल दण्ड भोगने के लिए नहीं बनी है, आर्य ! यह विधाता की सर्वाेत्तम सृष्टि है। यह…
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चन्द्रमा निश्चय ही देर से आकाश पर विचर रहा था। उदय काल में जो एक लालिमा रहा करती है, उसका कहीं कोई…
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जो वास्तव है उसको दबाना और जो अवास्तव है उसका आचरण करना--यही तो अभिनय है। .......... यह पग-पग का…
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रंगमंच का निर्माण बड़े आडम्बर के साथ हुआ। हजारों कर्मकर उसमें लगाए गए। उन दिनों रंगमंच का निर्माण…
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राजा जानश्रुति को आचार्य औदुम्बरायण ने जब सारी बातें बताईं तो वे जैसे सोते से अचकचाकर जागे-“मुझे…
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ऋषि और भी प्रीत जान पड़े। बोले, “साधु वत्स, तुम्हारा संकल्प महान है। तुम अपनी माताजी के साथ…
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कमजोरों में भावुकता ज्यादा होती होगी।
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वसंत आता…
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“प्रजापति ने देवताओं के स्वामी इन्द्र को वामदेव्य साम का रहस्य समझाया था। उन्होंने कहा था,…
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“मैं जानता हूँ, तू वीर-बाला है। जानती है, प्रातृद ने अपने पिता से ‘वीर‘ शब्द की…
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जो समाज-व्यवस्था झूठ को प्रश्रय देने के लिए ही तैयार की गई है, उसे मानकर अगर कोई कल्याण-कार्य करना…
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तुम्हें पूर्ण रूप से शास्त्रज्ञ बनना है, उसके बाद सभी बातों की शास्त्रीय विधि से परीक्षा करने के…
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“अच्छा माँ, सभी स्त्रियों को पारिवारिक सम्बन्धों में ही क्यों पुकारा जाता है ?“
“अपने…
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सिद्धि को साधन समझना कच्चे चित्त की कच्ची कल्पना है। ......... मुझे अवधूत अधोरभैरव के वाक्य याद आये,…
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एक बार उसे लगता था कि उसके पिता ठीक ही कह रहे हैं। महिषमर्दिनी देवी केवल भावों की दुनिया में रह सकती…
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स्त्रियाँ ही रत्नों को भूषित करती हैं, रत्न स्त्रियों को क्या भूषित करेंगे ! स्त्रियाँ तो रत्न के…
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मुझे स्थाणीश्वर के लम्पट राजकुल के अंतःपुर के विषय में श्रद्धा नहीं है। जहाँ चौर्य-लब्ध अत्याचारिता…
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“मैं समझता हूँ कि हर व्यक्ति का अपना एक सत्य होता है। तुम्हारा भी है। है न?
“शायद!“
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