वीर शब्द की व्याख्या

पीछे

“मैं जानता हूँ, तू वीर-बाला है। जानती है, प्रातृद ने अपने पिता से ‘वीर‘ शब्द की क्या व्याख्या की थी ? उन्होंने बताया था कि ‘वीर‘ शब्द के ‘वी‘ अक्षर का अर्थ है विष्ट अर्थात् अन्न; और ‘र‘ अक्षर का अर्थ है रमण-प्राण। अन्न में ही सब प्राणी प्रविष्ट हैं और प्राण में ही सब रमण करते हैं। जो इन दोनों का रहस्य जानता है, इनका सामंजस्य कर सकता है, उसी को वीर कहते हैं, वह सबका आश्रय हो जाता है।“
 

पुस्तक | अनामदास का पोथा लेखक | आ0 हजारी प्रसाद द्विवेदी भाषा | खड़ी बोली विधा | उपन्यास
विषय | वीरता,