बदला लेने का तो इस्सै अच्छा दूसरा रास्ता ही नहीं है
पीछे‘‘ये बस बातें हँसी खुशी मैं याद आती हैं। क्रोध मैं बदला लिए बिना किसी तरह चित्त का संतोष नहीं होता’’ लाला मदनमोहन नें कहा।
‘‘बदला लेने का तो इस्सै अच्छा दूसरा रास्ता ही नहीं है कि वह अपकार करे और उस्के बदले आप उपकार करो’’ लाला ब्रजकिशोर कहनें लगे ‘‘जब वह अपनें अपराधों के बदले आप की मेहरबानी देखेगा तो लज्जित होगा और उस्का मन ही उस्को धिःकारनें लगेगा। बैरी के लिए इस्सै कठोर दंड दूसरा नहीं है परंतु यह बात हर किसी सै नहीं हो सक्ती। तरह, तरह का दुःख नुक्सान और निंदा सहनें के लिए जितनें साहस, धैर्य और गंभीरता की जरूरत है बैरी सै बैर लेनें के लिए उन्की कुछ भी जरूरत नहीं होती। यह काम बहुत थोड़े आदमियों सै बन पड़ता है पर जिन्सै बन पड़ता है वहीं सच्चे धर्मात्मा है।