तर्क वस्तु ही गलत है

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तर्क वस्तु ही गलत है। भगवान् ने जीवन में करुणा को प्रतिष्ठित करना चाहा था। जिसमें वह करुणा नहीं, वह सौगत नहीं, वह सद्धर्म का सत्यानाश करता है। तर्क से विद्वेष बढ़ता है, विद्वेष से हिंसा पनपती है और हिंसा से मनुष्यता का विध्वंस होता है।

पुस्तक | बाणभट्ट की आत्मकथा लेखक | आ0 हजारी प्रसाद द्विवेदी भाषा | खड़ी बोली विधा | उपन्यास