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अंग-अंग दलित ललित फूले किंसुक-से …
अधिक बधिक तें सुजान, रीति रावरी है, …
अन्त तें न आयो याही गाँवरे को जायो, …
अन्तर उदेग दाह आँखिन प्रवाह-आँसू …
आई खेलि होरी ब्रजगोरी वा किसोरी संग …
आस ही अकास मधि अवधि गुनै बढ़ाय …
आसा-गुन बाँधि कै भरोसो-सिल धरि छाती …
एरी आजु काल्हि सब लोक लाज त्यागि दोऊ …
ओझरी की झोरी काँधें आँतनिकी सेल्ही बाँधें, …
कहाँ एतो पानिप बिचारी पिचकारी धरै, …
कहा रसखानि सुखसंपति सुमार कहा, …
कारी कूर कोकिला कहाँ को बैर काढ़ति री, …
गारी के देवैया बनवारी तुम कहौ कौन …
गोकुल को ग्वाल काल्हि चौमुँह की ग्वालिन सौं Read More
गोरज बिराजै भाल लहलही बनमाल …
चल्यो हनुमानु सुनु जातुधान कालनेमि …
चातिक चुहल चहुँ ओर चाहै स्वाति ही को। …
छबि को सदन मोद मंडित बदन-चंद …
छूट्यौ गृह काज लोक लाज मनमोहन कै …
जल की न घट भरैं मग की न पग धरैं …
जाकी बाँकी बीरता सुनत सहमत सूर, …
जासों प्रीति ताहि निठुराई सों निपट नेह, …
जोहौं मैं तिहारी ओर नन्दगाँव के किसोर …
तोहूँ पहिचानौं बृषभान हूँ को जानौं नेकु …
दसन-बसन ओली भरियै रहै गुलाल, …
दान पै न कान सुने लैहों सो गुमान भंजि …
नन्द की न दासी हम जातिहू मैं नाही कम …
पाती-मधि छाती-छत लिखि न लिखाए जाहिं …
पीरी परि देह छीनी राजति सनेह भीनी, …
फागुन महीना की कही ना परै बातै दिन- …
बिकच नलिन लखें सकुचि मलिन होति, …
बिकल बिषाद-भरे ताहीं की तरफ तकि, …
ब्याही अनब्याही ब्रजमाहीं सब चाही तासों …
भए अति निठुर, मिटाय पहचानि डारी, …
मेरो को करै नियाब हौं तो तीनि लोक राव …
राति-द्यौस कटक सजे ही रहै दहै दुख …
लाजनि लपेटि चितवनि भेद-भाय भरी …
लीन्हो उखारि पहारु बिसाल, …
लोथिन सों लोहूके प्रबाह चले जहाँ-तहाँ …
वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै …
संभु धरै ध्यान जाको जपत जहान सब …
सुधा तें स्रवत बिष, फूल मैं जमत सूल, …