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1. पाइ महावर दैंन कौं नाइनि बैठी…
1. लगी अनलगी सी जु बिधि करी खरी…
1. सायक-सम मायक नयन, रँगे बिबिध…
नखशिख खण्ड-
अधर सुरंग अमिअ रस भरे। बिंब सुरंग…
1. अपने अंग के जानि कै जोबन-नृपति…
1. कंचनतन-धन-बरन बर रह्यौ रंगु…
1. अहे, दहेंड़ी जिनि धरै, जिनि…
उपमा एक न नैन गही।कबिजन कहत चलि आए सुधि करि…
श्रद्धा सर्ग-
और देखा वह सुन्दर…
कनक दंड दुइ भुजा…
1. दियौ अरघु, नीचैं चलौ, संकटु…
कहौं लिलाट दुइजि कै जोती। दुइजिहि…
का सिंगार ओहि बरनौं राजा। ओहिक…
1. कुटिल अलक छुटि परत मुख बढ़िगौ…
1. चलन न पावतु निगम-मगु जगु,…
1. छुटे छुटावत जगत तैं सटकारे,…
छबि को सदन मोद मंडित बदन-चंद …
1. लसतु सेतसारी-ढप्यौ, तरल तर्यौना…
1. जेति संपति कृपन कैं, तेती…
झलकै अति सुन्दर आनन गौर, छके दृग राजत काननि छ्वै। Read More
1. जोग-जुगति सिखए सबै मनौ…
दसन चौक बैठे जनु हीरा। औ बिच…
मानसरोदक खण्ड-
धरीं तीर सब छीपक सारीं। सरवर…
नासिक खरग देऊँ कहि जोगू। खरग…
1. निसि अंधियारी, नील पटु पहिरि,…
कहा मानसर चहा सो पाई। पारस…
नैन बाँक सरि पूजि न कोऊ। मान…
1. अंग अंग छबि की लपट उपटति जाति…
पुनि बरनौं का सुरंग…
बरनौं गीवँ कूँज कै रीसी।…
बरनौं माँग सीस उपराहीं। सेंदुर…
बरुनी का बरनौं इमि बनी। साँधे…
इड़ा सर्ग-
बिखरी अलकें ज्यों…
1. बेसरि-मोती-दुति-झलक परी ओठ…
जन्म खण्ड-
भइ ओनंत पदुमावति बारी। धज घोरैं…
भए दस मास पूरि भै घरी। पदुमावति…
भौंहैं स्याम धनुकु जनु ताना।…
रसना कहौं जो कह रस बाता। अँब्रित…
रावरे रूप की रीति अनूप, नयो नयो लागत ज्यौं ज्यौं…
लाजनि लपेटि चितवनि भेद-भाय भरी …
1. डीठि न परतु समान-दुति कनकु…
वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै …
सरवर तीर पदुमिनीं आईं। खौपा…
स्रवन सीप दुइ दीप…
1. स्वेद-सलिलु, रोमांच-कुसु गहि…
हिया थार कुच कंचन लाडू। कनक कचोर…