काव्यांश (पुस्तक - बिहारी सतसई)

 पाइ महावर दैंन कौं

1.    पाइ महावर दैंन कौं नाइनि बैठी…

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अंग-अंग-नग जगमगत

1.    सायक-सम मायक नयन, रँगे बिबिध…

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अधर धरत हरि कैं

1.    अधर धरत हरि कैं, परत ओठ-डीठि-पट-जोति। Read More

अपने अंग के जानि कै

1.    अपने अंग के जानि कै जोबन-नृपति…

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ऊँचै चितै सराहियतु गिरह कबूतरु लेतु

1.    ऊँचै चितै सराहियतु गिरह कबूतरु…

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कब कौ टेरतु दीन रट

1.    कब कौ टेरतु दीन रट, होत न…

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करौ कुबत जगु

1.    भृकुटी-मटकनि, पीतपट-चटक, लटकती…

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कहत सबै, बेंदी दियैं

1.    दियौ अरघु, नीचैं चलौ, संकटु…

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को ललचाइ न लाल के लखि ललचौंहैं नैन

1.    पट सौं पोंछि परी करौ, खरी-भयानक-भेष। Read More

कौन भाँति रहिहै बिरदु

1.    निज करनी सकुचेहिं कत सकुचावत…

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खौरि-पनिच भृकुटी-धनुषु

1.    चलन न पावतु निगम-मगु जगु,…

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चिरजीवौ जोरी

1.    प्रलय-करन बरषन लगे जुरि जलधर…

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जगतु जनायौ जिहिं सकलु

1.    जगतु जनायौ जिहिं सकलु, सो…

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जटित नीलमनि जगमगति

1.    लसतु सेतसारी-ढप्यौ, तरल तर्यौना…

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झीनैं पट में झुलमुली

1.    जोग-जुगति सिखए सबै मनौ…

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दीरघ साँस न लेहि दुख

1.    नीकी दई अनाकनी, फीकी परी गुहारि। Read More

निसि अंधियारी, नील पटु पहिरि

1.    निसि अंधियारी, नील पटु पहिरि,…

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नैना नैंक न मानहीं

1.    नैना नैंक न मानहीं, कितौ कह्यौ…

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पँखुरी लगी गुलाब की गात न जानी जाइ

1.    अंग अंग छबि की लपट उपटति जाति…

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बेसरि-मोती-दुति-झलक परी

1.    बेसरि-मोती-दुति-झलक परी ओठ…

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भजन कह्यौ, तातैं भज्यौ

1.    भजन कह्यौ, तातैं भज्यौ; भज्यौ…

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मकराकृति गोपाल कैं

1.    बहके, सब जिय की कहत, ठौरु…

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मेरी भव-बाधा हरौ

1.    मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि…

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लाल; तुम्हारे रूप की, कहौ, रीति यह कौन

1.    जसु अपजसु देखत नहीं देखत साँवल-गात। Read More

लिखन बैठि जाकी सबी

1.    डीठि न परतु समान-दुति कनकु…

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सीस-मुकुट, कटि-काछनी

1.    नाह गरजि नाहर-गरज, बोलु…

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