काव्यांश (विषय - माधुर्य भक्ति)

अति मलीन बृषभानुकुमारी

अति मलीन बृषभानुकुमारी।
हरि स्रमजल अंतर तनु…

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अब तोहि जान न देहुँ राम पियारे

अब तोहि जान न देहुँ राम पियारे ज्यूँ भावै त्यूँ…

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अब मोहि ले चल नणद के बीर अपने देसा

अब मोहि ले चल नणद के बीर अपने देसा।
इन पंचनि…

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आई हौ आज नई ब्रज में कछु नैन नचाइ कैं रार मचैहौ

आई हौ आज नई ब्रज में कछु नैन नचाइ कैं रार मचैहौ। Read More

आज भटू इक गोपवधू

आज भटू इक गोपवधू भई बावरी नेकु न अंग सम्हारै। Read More

आवत हौ रस के चसके तुम जानत हौ रस होत कहा हो

आवत हौ रस के चसके तुम जानत हौ रस होत कहा हो। Read More

उपमा एक न नैन गही

उपमा एक न नैन गही।
कबिजन कहत चलि आए सुधि करि…

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उर में माखनचार गड़े

उर में माखनचार गड़े।
अब कैसहु निकसत नहिं, ऊधो!…

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ऊधो!  मन माने की बात

ऊधो!  मन माने की बात।
जरत पतंग दीप में…

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ऊधो! क्यों राखै ये नैन

ऊधो! क्यों राखै ये नैन ?
सुमिरि सुमिरि गुन…

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ऊधो! प्रीति न मरन बिचारै

ऊधो! प्रीति न मरन बिचारै।
प्रीति पतंग जरै…

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ऊधो! हम आजु भई बड़ भागी

ऊधो! हम आजु भई बड़ भागी।
जैसे सुमन गंध लै आवतु…

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एरी आजु काल्हि सब लोक लाज त्यागि दोऊ

एरी आजु काल्हि सब लोक लाज त्यागि दोऊ
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एरी कहा बृषभानपुरा की तौ दान दियें बिन जान न पैहौ

एरी कहा बृषभानपुरा की तौ दान दियें बिन जान न पैहौ। Read More

कहाँ लगि मानिए अपनी चूक

कहाँ लगि मानिए अपनी चूक।
बिन गोपाल, ऊधो, मेरी…

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कानन दै अँगुरी रहिबो

कानन दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मन्द बजैहै। Read More

कान्ह भए बस बाँसुरी के

कान्ह भए बस बाँसुरी के अब कौन सखी हमकों चहिहै। Read More

कोउ ब्रज बाँचत नाहिंन पाती

कोउ ब्रज बाँचत नाहिंन पाती।
कत लिखि लिखि पठवत…

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कोऊ आवत है तन स्याम

कोऊ आवत है तन स्याम।
वैसेइ पट, वैसिय रथ बैठनि,…

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खंजन नैन फँसे पिंजरा

खंजन नैन फँसे पिंजरा छवि नाहि रहै थिर कैसहूँ माई। Read More

गारी के देवैया बनवारी तुम कहौ कौन

गारी के देवैया बनवारी तुम कहौ कौन
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छछिया भरि छाछ पै नाच नचावत

गावैं गुनी गनिका गन्धर्ब औ सारद सेस सबै गुन गावत। Read More

छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं

सेस गनेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरन्तर गावैं। Read More

छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं

शंकर से सुर जाहि भजैं चतुरानन ध्यान में धर्म बढ़ावैं। Read More

छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं

लाय समाधि रहे बरम्हादिक जोगी भये पर अन्त न पावैं। Read More

छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं

गुंज गरें सिर मोरपखा अरु चाल गयंद की मो मन भावै। Read More

छूट्यौ गृह काज लोक लाज मनमोहन कै

छूट्यौ गृह काज लोक लाज मनमोहन कै
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जल की न घट भरैं मग की न पग धरैं

जल की न घट भरैं मग की न पग धरैं
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जोहौं मैं तिहारी ओर नन्दगाँव के किसोर

जोहौं मैं तिहारी ओर नन्दगाँव के किसोर
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तिहारी प्रीति किधौं तरवारि

तिहारी प्रीति किधौं तरवारि ?
दृष्टिधार करि…

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तोहूँ पहिचानौं बृषभान हूँ को जानौं नेकु

तोहूँ पहिचानौं बृषभान हूँ को जानौं नेकु
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दान पै न कान सुने लैहों सो गुमान भंजि

दान पै न कान सुने लैहों सो गुमान भंजि
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दुलहनी गावहु मंगलचार

दुलहनी गावहु मंगलचार।
हम घरि आए हो राजा राम…

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नन्द की न दासी हम जातिहू मैं नाही कम

नन्द की न दासी हम जातिहू मैं नाही कम
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निरखत अंक स्यामसुंदर के बार बार लावति छाती

निरखत अंक स्यामसुंदर के बार बार लावति छाती। Read More

नौ लख गाय सुनी हम नन्द के तापर दूध दही न अघाने

नौ लख गाय सुनी हम नन्द के तापर दूध दही न अघाने। Read More

पाती सखि! मधुबन तें आई

पाती सखि! मधुबन तें आई।
ऊधो हाथ स्याम लिखि…

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बजी है बजी रसखानि बजी

बजी है बजी रसखानि बजी सुनिकै अब गोपकुमारि न जीहै। Read More

बहुत दिनन थैं मैं प्रीतम पाये

बहुत दिनन थैं मैं प्रीतम पाये भाग बड़े घरि बैठे…

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बिन गोपाल बैरिन भई कुंजैं

बिन गोपाल बैरिन भई कुंजैं।
तब ये लता लगति…

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मकराकृत कुंडल गुंज की माल

मकराकृत कुंडल गुंज की माल वे लाल लसैं पग पाँवरिया। Read More

मधुकर! ये नयना पै हारे

मधुकर! ये नयना पै हारे।
निरखि निरखि मग कमलनयन…

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मधुकर! हम न होहि वे बेली

मधुकर! हम न होहि वे बेली।
जिनको तुम तजि भजत…

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मेरो को करै नियाब हौं तो तीनि लोक राव

मेरो को करै नियाब हौं तो तीनि लोक राव
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मो मन मानिक लै गयो

1.    मो मन मानिक लै गयो, चितै चोर…

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मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं

मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं गुंज की माल गरें पहिरौंगी। Read More

लरिकाई को प्रेम, कहो अलि

लरिकाई को प्रेम, कहो अलि, कैसे करिकै छूटत।
कहा…

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वा मुसकान पै प्रान दियो

वा मुसकान पै प्रान दियो जिय जान दियो वह तान पै…

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सँदेसनि मधुबन कूप भरे

सँदेसनि मधुबन कूप भरे।
जे कोउ पथिक गए हैं…

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सुनिकै यह बात हियें गुनि कै तब बोलि उठि बृषभान-लली

सुनिकै यह बात हियें गुनि कै तब बोलि उठि बृषभान-लली। Read More

सुनियो एक सँदेसो ऊधो तुम गोकुल को जात

सुनियो एक सँदेसो ऊधो तुम गोकुल को जात।
ता…

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हरिमुख निरखि निमुख बिसारे

हरिमुख निरखि निमुख बिसारे।
ता दिन तें मनो…

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