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अति मलीन बृषभानुकुमारी।हरि स्रमजल अंतर तनु…
अब तोहि जान न देहुँ राम पियारे ज्यूँ भावै त्यूँ…
अब मोहि ले चल नणद के बीर अपने देसा।इन पंचनि…
आई हौ आज नई ब्रज में कछु नैन नचाइ कैं रार मचैहौ। Read More
आज भटू इक गोपवधू भई बावरी नेकु न अंग सम्हारै। Read More
आवत हौ रस के चसके तुम जानत हौ रस होत कहा हो। Read More
उपमा एक न नैन गही।कबिजन कहत चलि आए सुधि करि…
उर में माखनचार गड़े।अब कैसहु निकसत नहिं, ऊधो!…
ऊधो! मन माने की बात।जरत पतंग दीप में…
ऊधो! क्यों राखै ये नैन ?सुमिरि सुमिरि गुन…
ऊधो! प्रीति न मरन बिचारै।प्रीति पतंग जरै…
ऊधो! हम आजु भई बड़ भागी।जैसे सुमन गंध लै आवतु…
एरी आजु काल्हि सब लोक लाज त्यागि दोऊ …
एरी कहा बृषभानपुरा की तौ दान दियें बिन जान न पैहौ। Read More
कहाँ लगि मानिए अपनी चूक।बिन गोपाल, ऊधो, मेरी…
कानन दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मन्द बजैहै। Read More
कान्ह भए बस बाँसुरी के अब कौन सखी हमकों चहिहै। Read More
कोउ ब्रज बाँचत नाहिंन पाती।कत लिखि लिखि पठवत…
कोऊ आवत है तन स्याम।वैसेइ पट, वैसिय रथ बैठनि,…
खंजन नैन फँसे पिंजरा छवि नाहि रहै थिर कैसहूँ माई। Read More
गारी के देवैया बनवारी तुम कहौ कौन …
गावैं गुनी गनिका गन्धर्ब औ सारद सेस सबै गुन गावत। Read More
सेस गनेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरन्तर गावैं। Read More
शंकर से सुर जाहि भजैं चतुरानन ध्यान में धर्म बढ़ावैं। Read More
लाय समाधि रहे बरम्हादिक जोगी भये पर अन्त न पावैं। Read More
गुंज गरें सिर मोरपखा अरु चाल गयंद की मो मन भावै। Read More
छूट्यौ गृह काज लोक लाज मनमोहन कै …
जल की न घट भरैं मग की न पग धरैं …
जोहौं मैं तिहारी ओर नन्दगाँव के किसोर …
तिहारी प्रीति किधौं तरवारि ?दृष्टिधार करि…
तोहूँ पहिचानौं बृषभान हूँ को जानौं नेकु …
दान पै न कान सुने लैहों सो गुमान भंजि …
दुलहनी गावहु मंगलचार।हम घरि आए हो राजा राम…
नन्द की न दासी हम जातिहू मैं नाही कम …
निरखत अंक स्यामसुंदर के बार बार लावति छाती। Read More
नौ लख गाय सुनी हम नन्द के तापर दूध दही न अघाने। Read More
पाती सखि! मधुबन तें आई।ऊधो हाथ स्याम लिखि…
बजी है बजी रसखानि बजी सुनिकै अब गोपकुमारि न जीहै। Read More
बहुत दिनन थैं मैं प्रीतम पाये भाग बड़े घरि बैठे…
बिन गोपाल बैरिन भई कुंजैं।तब ये लता लगति…
मकराकृत कुंडल गुंज की माल वे लाल लसैं पग पाँवरिया। Read More
मधुकर! ये नयना पै हारे।निरखि निरखि मग कमलनयन…
मधुकर! हम न होहि वे बेली।जिनको तुम तजि भजत…
मेरो को करै नियाब हौं तो तीनि लोक राव …
1. मो मन मानिक लै गयो, चितै चोर…
मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं गुंज की माल गरें पहिरौंगी। Read More
लरिकाई को प्रेम, कहो अलि, कैसे करिकै छूटत।कहा…
वा मुसकान पै प्रान दियो जिय जान दियो वह तान पै…
सँदेसनि मधुबन कूप भरे।जे कोउ पथिक गए हैं…
सुनिकै यह बात हियें गुनि कै तब बोलि उठि बृषभान-लली। Read More
सुनियो एक सँदेसो ऊधो तुम गोकुल को जात।ता…
हरिमुख निरखि निमुख बिसारे।ता दिन तें मनो…