काव्यांश (विषय - नीति)

 रहिमन असमय के परे, हित अनहित ह्वै जाय

1.    रहिमन असमय के परे, हित अनहित…

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अब रहीम चुप करि रहउ समुझि दिनन के फेर

1.    अंतर दाव लगी रहै धुआँ न प्रगटै…

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अब रहीम चुप करि रहउ, समुझि दिनन कर फेर

1.    अनुचित उचित रहीम लघु, करहिं…

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काज परै कछु और है, काज सरै कछु और

1.    ऊगत जाही किरन सों अथवत ताही…

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कुटिलन संग रहीम कहि साधू बचते नाहिं

1.    कुटिलन संग रहीम कहि साधू बचते…

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खीरा सिर तें काटिए मलियत नमक बनाय

1.    ओछो काम बड़े करैं तो न बड़ाई…

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गुन ते लेत रहीम जन, सलिल कूप ते काढ़ि

1.    कोउ रहीम जनि काहु के, द्वार…

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जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराय

1.    जेहि अंचल दीपक दुर्यो, हन्यो…

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जौं अहि सेज सयन हरि करहीं

बालकाण्ड-

जौं अहि सेज सयन हरि करहीं । बुध…

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थोथे बादर क्वार के ज्यों रहीम घहरात

1.    जैसी जाकी बुद्धि है तैसी कहै…

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थोरो किए बड़ेन की, बड़ी बड़ाई होय

1.    जो रहीम दीपक दसा, तिय राखत…

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दोनों रहिमन एक से, जौ लौं बोलत नाहिं

1.    दुरदिन परे रहीम कहि, दुरथल…

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नर विभव-हेतु ललचाता है

‘‘होकर समृद्धि-सुख के अधीन,
मानव…

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बसि कुसंग चाहत कुसल यह रहीम जिय सोस

1.    रहिमन नीच प्रसंग ते नित प्रति…

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बिगरी बात बनै नहीं लाख करौ किन कोय

1.    पावस देखि रहीम मन कोइल साधे…

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बिपति भए धन ना रहे, रहे जो लाख करोर

1.    पसरि पत्र झँपहि पितहिं, सकुचि…

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मनि मनिक महँगे किये

1.    मनि मनिक महँगे किये, सस्तो…

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महाराज, उद्यम से विधि का अंक उलट जाता है

क्षुद्र पात्र हो मग्न कूप में जितना जल लेता है, Read More

मही-दूध सम गनै हंस-बक भेद न जानै

मही-दूध सम गनै हंस-बक भेद न जानै।
कोकिल-काक…

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मान सरोवर ही मिले, हंसनि मुक्ता भोग

1.    मान सरोवर ही मिले, हंसनि मुक्ता…

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मूढ़ मंडली में सुजन, ठहरत नहीं बिसेषि

1.    मुकता कर करपूर कर, चातक जीवन…

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रहिमन छोटे नरन सो, होत बड़ो नहीं काम

1.    रहिमन खोटी आदि की, सो परिनाम…

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रहिमन तीन प्रकार ते हिम अनहित पहीचानि

1.    रहिमन तीन प्रकार ते हिम अनहित…

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रहिमन बिपदाहू भली, जो थोरे दिन होय

1.    ससि की सीतल चाँदनी, सुंदर,…

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रहिमन या तन सूप है, लीजै जगत पछोर

1.    रहिमन या तन सूप है, लीजै जगत…

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वसुधा का नेता कौन हुआ

वसुधा का नेता कौन हुआ?
भूखण्ड-विजेता कौन हुआ? Read More

सच है, विपत्ति जब आती है

सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती…

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समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जाय

1.    समय पाय फल होत है, समय पाय…

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सरिता देती वारि कि पाकर उसे सुपूरित घन हो

सरिता देती वारि कि पाकर उसे सुपूरित घन हो,
बरसे…

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सहसन को हय बाँधियत, लै दमरी की मेख

1.    छोटेन सो सोहैं बड़े, कहि रहीम…

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