काव्यांश (पुस्तक - सुजान रसखान)

अन्त तें न आयो याही गाँवरे को जायो

अन्त तें न आयो याही गाँवरे को जायो,
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आई खेलि होरी ब्रजगोरी वा किसोरी संग

आई खेलि होरी ब्रजगोरी वा किसोरी संग
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आज भटू इक गोपवधू

आज भटू इक गोपवधू भई बावरी नेकु न अंग सम्हारै। Read More

आजु गई हुती भोरही हौं

आजु गई हुती भोरही हौं रसखानि रई कहि नन्द के भौंनहिं। Read More

एरी आजु काल्हि सब लोक लाज त्यागि दोऊ

एरी आजु काल्हि सब लोक लाज त्यागि दोऊ
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कल कानन कुण्डल मोरपखा

कल कानन कुण्डल मोरपखा उर पैं बनमाल बिराजति है। Read More

कहा रसखानि सुखसंपति सुमार कहा

कहा रसखानि सुखसंपति सुमार कहा,
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कानन दै अँगुरी रहिबो

कानन दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मन्द बजैहै। Read More

कान्ह भए बस बाँसुरी के

कान्ह भए बस बाँसुरी के अब कौन सखी हमकों चहिहै। Read More

कौन ठगौरी भरी हरि आजु

कौन ठगौरी भरी हरि आजु बजाई है बाँसुरिया रंग भीनी। Read More

खंजन नैन फँसे पिंजरा

खंजन नैन फँसे पिंजरा छवि नाहि रहै थिर कैसहूँ माई। Read More

खेलत फाग सुहाग भरी

खेलत फाग सुहाग भरी अनुरागहिं लालन कों धरि कै। Read More

गोकुल को ग्वाल काल्हि चौमुँह की ग्वालिन सौं

गोकुल को ग्वाल काल्हि चौमुँह की ग्वालिन सौं Read More

गोरज बिराजै भाल लहलही बनमाल

गोरज बिराजै भाल लहलही बनमाल
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छछिया भरि छाछ पै नाच नचावत

गावैं गुनी गनिका गन्धर्ब औ सारद सेस सबै गुन गावत। Read More

छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं

सेस गनेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरन्तर गावैं। Read More

छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं

शंकर से सुर जाहि भजैं चतुरानन ध्यान में धर्म बढ़ावैं। Read More

छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं

लाय समाधि रहे बरम्हादिक जोगी भये पर अन्त न पावैं। Read More

छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं

गुंज गरें सिर मोरपखा अरु चाल गयंद की मो मन भावै। Read More

छूट्यौ गृह काज लोक लाज मनमोहन कै

छूट्यौ गृह काज लोक लाज मनमोहन कै
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जल की न घट भरैं मग की न पग धरैं

जल की न घट भरैं मग की न पग धरैं
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जा दिन तें निरख्यो नन्दनन्दन

जा दिन तें निरख्यो नन्दनन्दन कानि तजी घर बन्धन…

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जा दिन तें वह नन्द को छोहरो

जा दिन तें वह नन्द को छोहरो या बन धेनु चराइ गयो…

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धूर भरे अति शोभित स्याम जू

धूर भरे अति शोभित स्याम जू तैसी बनी सिर सुन्दर…

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नैन लख्यो जब कुंजन तें

नैन लख्यो जब कुंजन तें वन तें निकस्यो अँटक्यो मटक्यो…

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फागुन लाग्यो सखी जब तें

फागुन लाग्यो सखी जब तें तब तें ब्रजमंडल धूम मच्यो…

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बंक बिलोकनि है दुखमोचन

बंक बिलोकनि है दुखमोचन दीरघ लोचन रंग भरे हैं। Read More

बजी है बजी रसखानि बजी

बजी है बजी रसखानि बजी सुनिकै अब गोपकुमारि न जीहै। Read More

ब्याही अनब्याही ब्रजमाहीं सब चाही तासों

ब्याही अनब्याही ब्रजमाहीं सब चाही तासों
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भौंह भरी बरुनी सुथरी

भौंह भरी बरुनी सुथरी अतिसै अधरानि रंगी रंग रातौ। Read More

मकराकृत कुंडल गुंज की माल

मकराकृत कुंडल गुंज की माल वे लाल लसैं पग पाँवरिया। Read More

मानुष हौं तो वही रसखानि

मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के…

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मैन मनोहर बैन बजै

मैन मनोहर बैन बजै सु सजे तन सोहत पीत पटा है। Read More

मो मन मानिक लै गयो

1.    मो मन मानिक लै गयो, चितै चोर…

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मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं

मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं गुंज की माल गरें पहिरौंगी। Read More

या लकुटी अरु कामरिया

या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं। Read More

लोक की लाज तजी तबहीं

लोक की लाज तजी तबहीं जब देख्यो सखी ब्रजचन्द सलोनो। Read More

वा मुसकान पै प्रान दियो

वा मुसकान पै प्रान दियो जिय जान दियो वह तान पै…

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संभु धरै ध्यान जाको जपत जहान सब

संभु धरै ध्यान जाको जपत जहान सब
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सेस सुरेस दिनेस गनेस

सेस सुरेस दिनेस गनेस प्रजेस धनेस महेस मनाओ। Read More

सोहत है चँदवा सिर मौर

सोहत है चँदवा सिर मौर के जैसियै सुन्दर पाग कसी…

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