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अंग-अंग दलित ललित फूले किंसुक-से …
अवधेस के द्वारे सकारें गइ सुत गोद कै भूपति लै निकसे। Read More
आगें सोहै साँवरो कुँवरु गोरो पाछें-पाछें, …
ओझरी की झोरी काँधें आँतनिकी सेल्ही बाँधें, …
कतहुँ बिटप-भूधर उपारि परसेन बरष्षत।कतहुँ…
कबहूँ ससि मागत आरि करैं कबहूँ प्रतिबिंब निहारि…
कागर कीर ज्यों भूषन-चीर सरीरु लस्यो तजि नीरु ज्यों…
कीर के कागर ज्यों नृपचीर, बिभूषन उप्पम अंगनि पाई। Read More
कुंभकरन्नु हन्यो रन राम दल्यो दसकंधरु कंधर तोरे। Read More
गहि मंदर बंदर-भालु चले, सो मनो उनये घन सावनके। Read More
जलको गए लक्खनु, हैं लरिका …
जलजनयन, जलजानन जटा है सिर, …
जाकी बाँकी बीरता सुनत सहमत सूर, …
जे रजनीचर बीर बिसाल, कराल बिलोकत काल न खाए। Read More
जो दससीसु महीधर ईसको बीस भुजा खुलि खेलनिहारो। Read More
ठाढ़े हैं नवद्रुमडार गहें, धनु काँधें धरें, कर सायकु…
तन की दुति स्याम सरोरुह लोचन कंज की मंजुलताई हरैं। Read More
तीखे तुरंग कुरंग सुरंगनि साजि चढ़े छँटि छैल छबीले। Read More
दूलह श्रीरघुनाथ बने दुलही सिय सुंदर मंदिर माहीं। Read More
धरि धीर कहैं, चलु, देखिअ जाइ, जहाँ सजनी ! रजनी…
नगरु कुबेरको सुमेरुकी बराबरी, …
पग नूपुर औ पहुँची करकंजनि मंजु बनी मनिमाल हिएँ। Read More
पद कोमल, स्यामल-गौर कलेवर राजत कोटि मनोज लजाएँ। Read More
पदकंजनि मंजु बनीं पनहीं धनुहीं सर पंकज-पानि लिएँ। Read More
पुरतें निकसी रघुबीरबधू धरि धीर दए मगमें डग द्वै। Read More
प्रेम सों पीछें तिरीछें प्रियाहि चितै चितु दै चले…
बालकाण्ड-
बंदउँ नाम राम रघुबर को। हेतु कृसानु…
बनिता बनी स्यामल गौरके बीच, …
बर दंतकी पंगति कुंदकली अधराधर-पल्लव खोलन की। Read More
बलकल-बसन, धनु-बान पानि, तून कटि, …
बसन बटोरि बोरि-बोरि तेल तमीचर, …
बालधी बिसाल बिकराल, ज्वालजाल मानो …
बिंधिके बासी उदासी तपी ब्रतधारी महा बिनु नारि दुखारे। Read More
मुखपंकज, कंजबिलोचन मंजु, मनोज-सरासन-सी बनीं भौंहैं। Read More
राम नाम कर अमित प्रभावा । संत पुरान…
राम सरासन तें चले तीर रहे न सरीर हड़ावरि फूटीं। Read More
लाइ-लाइ आगि भागे बालजाल जहाँ तहाँ, …
लोथिन सों लोहूके प्रबाह चले जहाँ-तहाँ …
सर चारिक चारु बनाइ कसें कटि, पानि सरासनु सायकु…
सर-तोमर सेलसमूह पँवारत, मारत बीर निसाचरके।इत…
सरजू बर तीरहिं तीर फिरैं रघुबीर सखा अरु बीर सबै। Read More
साँवरे-गोरे सलोने सुभायँ, मनोहरताँ जिति मैनु लियो…
सीस जटा, उर-बाहु बिसाल, बिलोचन लाल, तिरीछी-सी भौंहैं। Read More
सुन्दर बदन, सरसीरुह सुहाए नैन, …
सूर सँजोइल साजि सुबाजि, सुसेल धरैं बगमेल चले हैं। Read More