प्रतिजन को करो सफल
पीछे प्रतिजन को करो सफल।
जीर्ण हुए जो यौवन,
जीवन से भरो सकल।
नहीं राजसिक तन-मन,
करो मुक्ति के बन्धन,
नन्दन के कुसुम-नयन
खोलो मृदु-गन्ध-विमल।
जागरूक कलरव से
भरें दिशाएँ स्तव से,
सरसी के नव, नव से,
मुदे हुए खुले कमल।
रँगे गगन, अन्तराल,
मनुजोचित उठे भाल,
छल का छुट जाय जाल,
देश मनाये मंगल।