अन्तस्तल से यदि की पुकार
पीछे अन्तस्तल से यदि की पुकार,
सब सहते साहस से बढ़कर
आयेंगे, लेंगे भी उबार।
विज्ञान झुकायेगा आँखें;
वायुयान की पाछे पाँखें;
सुलझेंगी मन-मन की माखें;
ज्योतिर्जग का होगा सुधार।
सादा भोजन, ऊँचा जीवन
होगा चेतन का आश्वासन;
हिंसा को जीतेंगे, सज्जन;
सीधी कपिला होगी दुधार।
अपने ही पैरों ठहरेंगे;
अपनी ही गरजों घहरेंगे;
अपनी ही बूँदों छहरेंगे;
अपनी ही रिमझिग तू-तुकार।
छूटेगी जग की ठग-लीला;
होंगी आँखें अन्तःशीला;
होगा न किसी का मुँह पीला;
मिट जायेगा लेना उधार।