क्या गाऊँ ?
पीछेक्या गाऊँ ?-माँ! क्या गाऊँ ?
गूँज रही हैं जहाँ राग-रागिनियाँ,
गाती हैं किन्नरियाँ-कितनी परियाँ-
कितनी पंचदशी कामिनियाँ,
वहाँ एक यह लेकर वीणा दीन
तन्त्री-क्षीण,-नहीं जिसमें कोई झंकार नवीन,
रुद्ध कण्ठ का राग अधूरा कैसे तुझे सुनाऊँ ?
माँ ! क्या गाऊँ !