काव्यांश (विषय - भक्तिमार्ग-योगमार्ग द्वंद्व)

अँखियाँ हरि दरसन की भूखी

अँखियाँ हरि दरसन की भूखी।
कैसे रहैं रूपरसराची…

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आए जोग सिखावन पाँड़े

आए जोग सिखावन पाँड़े।
परमारथी पुराननि लादे…

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उद्धव ! बेगिही ब्रज जाहु

उद्धव ! बेगिही ब्रज जाहु।
सुरति सँदेस सुनाय…

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उद्धव मन अभिलाष बढ़ायो

उद्धव मन अभिलाष बढ़ायो।
जदुपति जोग जानि जिय…

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ऊधो! जुवतिन ओर निहारौ

ऊधो! जुवतिन ओर निहारौ।
तब यह जोग मोट हम आगे…

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ऊधो! जोग बिसरि जनि जाहु

ऊधो! जोग बिसरि जनि जाहु।
बाँधहु गाँठि कहूँ…

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ऊधो! जोग सुन्यो हम दुर्लभ

ऊधो! जोग सुन्यो हम दुर्लभ।
आपु कहत हम सुनत…

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ऊधो! तुम अति चतुर सुजान

ऊधो! तुम अति चतुर सुजान।
जेहि पहिले रँग रँगी…

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ऊधो! ब्रज की दसा बिचारो

ऊधो! ब्रज की दसा बिचारो।
ता पाछे यह सिद्धि…

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ऊधो! भली करी तुम आए

ऊधो! भली करी तुम आए।
ये बातें कहि कहि या दुख…

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ऊधो! मन नहिं हाथ हमारे

ऊधो! मन नहिं हाथ हमारे।
रथ चढ़ाय हरि संग गए…

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ऊधो! हम अजान मति भोरी

ऊधो! हम अजान मति भोरी।
जानति है ते जोग की…

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काहे को रोकत मारग सूधो

काहे को रोकत मारग सूधो ?
सुनहु मधुप ! निर्गुन…

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गोकुल सबै गोपाल उपासी

गोकुल सबै गोपाल उपासी।
जोग अंग साधत जे ऊधो…

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जोग ठगौरी ब्रज न बिकैहै

जोग ठगौरी ब्रज न बिकैहै।
यह ब्योपार तिहारो…

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तबहि उपँगसुत आय गए

तबहि उपँगसुत आय गए।
सखा सखा कछु अंतर नाहीं…

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फिरि फिरि कहा सिखावत मौन

फिरि फिरि कहा सिखावत मौन।
दुसह वचन अलि यों…

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मधुकर! ल्याए जोग सँदेसो

मधुकर! ल्याए जोग सँदेसो।
भली स्याम कुसलात…

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मधुकर! हम न होहि वे बेली

मधुकर! हम न होहि वे बेली।
जिनको तुम तजि भजत…

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हम तो कान्ह केलि की भूखी

हम तो कान्ह केलि की भूखी।
कैसे निरगुन सुनहि…

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हमारे हरि हारिल की लकरी

हमारे हरि हारिल की लकरी।
मन बच क्रम नँदनंदन…

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