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उन चरणों में मुझे दो शरण।इस जीवन को करो हे…
‘अभी और है कितनी दूर तुम्हारा प्यारा देश…
खँडहर ! खड़े हो तुम आज भी ?अद्भुत अज्ञात उस…
गहन है यह अन्ध कारा; …
लहर रही शशिकिरण चूम निर्मल यमुना-जल,चूम सरित…
ज्येष्ठ! क्रूरता-कर्कशता के ज्येष्ठ! सृष्टि के…
वासन्ती की गोद में तरुण,सोहता स्वस्थ-मुख…
मैं प्रातः पर्यटनार्थ चलालौटा, आ पुल पर खड़ा…
फिर देखा, उस पुल के ऊपरबहुसंख्यक बैठे हैं…
क्या यह वही देश है-भीमार्जुन आदि का कीर्तिक्षेत्र, Read More
धूलि में तुम मुझे भर दो।धूलि-धूसर जो हुए…
शरत् के प्रति-
नभ से आ आभा-सी…
नूपुर के सुर मन्द रहे,जब न चरण स्वच्छन्द…
आज नहीं है मुझे और कुछ चाहअर्धविकच इस हृदय-कमल…
चिर-समाधि में अचिर-प्रकृति जब,तुम अनादि तब…
बादल छाये,ये मेरे अपने सपने …
भारत ही जीवन-धन, Read More
भाव जो छलके पदों पर,न हों हलके, न हों नश्वर। Read More
मरण को जिसने वरा है …
मैं अकेला;देखता हूँ, आ रही …
यह सच है:-तुमने जो दिया दान दान वह,हिन्दी…
स्नेह-निर्झर बह गया है।रेत ज्यों तन रह गया…