काव्यांश (विषय - वाग्विदग्धता)

उर में माखनचार गड़े

उर में माखनचार गड़े।
अब कैसहु निकसत नहिं, ऊधो!…

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ऊधो! ब्रज की दसा बिचारो

ऊधो! ब्रज की दसा बिचारो।
ता पाछे यह सिद्धि…

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ऊधो! भली करी तुम आए

ऊधो! भली करी तुम आए।
ये बातें कहि कहि या दुख…

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ऊधो! हम अजान मति भोरी

ऊधो! हम अजान मति भोरी।
जानति है ते जोग की…

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कहियो नंद कठोर भए

कहियो नंद कठोर भए।
हम दोउ बीरैं डारि परघरै…

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नीके रहियो जसुमति मैया

नीके रहियो जसुमति मैया।
आवैंगे दिन चारि पाँच…

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नौ लख गाय सुनी हम नन्द के तापर दूध दही न अघाने

नौ लख गाय सुनी हम नन्द के तापर दूध दही न अघाने। Read More

पथिक ! सँदेसो कहियो जाय

पथिक ! सँदेसो कहियो जाय।
आवैंगे हम दोनों भैया,…

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बरु वै कुब्जा भलो कियो

बरु वै कुब्जा भलो कियो।
सुनि सुनि समाचार ऊधो…

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बिलग जनि मानहु, ऊधो प्यारे

बिलग जनि मानहु, ऊधो प्यारे।
वह मथुरा काजर…

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हमसों कहत कौन की बातें ?

हमसों कहत कौन की बातें ?
सुनि ऊधो ! हम समुझत…

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हरि काहे के अंतर्जामी

हरि काहे के अंतर्जामी ?
जौ हरि मिलत नाहिं…

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