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1. करम हीन रहिमन लखो धँसो बड़े…
1. तन रहीम है कर्म बस, मन राखो…
मैं प्रातः पर्यटनार्थ चलालौटा, आ पुल पर खड़ा…
पर, जाने क्यों, नियम एक अद्भुत जग में चलता है, Read More
क्षुद्र पात्र हो मग्न कूप में जितना जल लेता है, Read More
1. रहिमन दुरदिन के परे, बड़ेन…