काव्यांश (विषय - भाग्य और कर्म)

जो रहीम भावी कतौं, होति आपुने हाथ

1.    करम हीन रहिमन लखो धँसो बड़े…

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तन रहीम है कर्म बस, मन राखो ओहि ओर

1.    तन रहीम है कर्म बस, मन राखो…

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दान

मैं प्रातः पर्यटनार्थ चला
लौटा, आ पुल पर खड़ा…

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महाराज, उद्यम से विधि का अंक उलट जाता है

क्षुद्र पात्र हो मग्न कूप में जितना जल लेता है, Read More

लिखी रहीम लिलार में, भई आन की आन

1.    रहिमन दुरदिन के परे, बड़ेन…

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