आप एक सदस्य के रूप में हिंदी साहित्य कोष का हिस्सा बनें
उन चरणों में मुझे दो शरण।इस जीवन को करो हे…
क्या गाऊँ ?-माँ! क्या गाऊँ ?
गूँज रही हैं…
दलित जन पर करो करुणा।दीनता पर उतर आये Read More
धूलि में तुम मुझे भर दो।धूलि-धूसर जो हुए…
जीवन प्रात-समीरण-सा लघुविचरण-निरत करो। Read More
तव भक्त भ्रमरों को हृदय में लिये वह शतदल विमल Read More