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1. अधर धरत हरि कैं, परत ओठ-डीठि-पट-जोति। Read More
आगें सोहै साँवरो कुँवरु गोरो पाछें-पाछें, …
चिंता सर्ग-
उसी तपस्वी से लम्बे,…
ऊधो! अब यह समुझ भई।नँदनंदन के अंग अंग प्रति…
कल कानन कुण्डल मोरपखा उर पैं बनमाल बिराजति है। Read More
1. पट सौं पोंछि परी करौ, खरी-भयानक-भेष। Read More
1. निज करनी सकुचेहिं कत सकुचावत…
खंजन नैन फँसे पिंजरा छवि नाहि रहै थिर कैसहूँ माई। Read More
गोरज बिराजै भाल लहलही बनमाल …
जलजनयन, जलजानन जटा है सिर, …
जा दिन तें निरख्यो नन्दनन्दन कानि तजी घर बन्धन…
ठाढ़े हैं नवद्रुमडार गहें, धनु काँधें धरें, कर सायकु…
1. नेहु न, नैननु कौं कछू उपजी…
नयननि वहै रूप जौ देख्यो।तौ ऊधो यह जीवन जग…
नैन लख्यो जब कुंजन तें वन तें निकस्यो अँटक्यो मटक्यो…
पद कोमल, स्यामल-गौर कलेवर राजत कोटि मनोज लजाएँ। Read More
प्रेम सों पीछें तिरीछें प्रियाहि चितै चितु दै चले…
बंक बिलोकनि है दुखमोचन दीरघ लोचन रंग भरे हैं। Read More
बनिता बनी स्यामल गौरके बीच, …
बलकल-बसन, धनु-बान पानि, तून कटि, …
ब्याही अनब्याही ब्रजमाहीं सब चाही तासों …
भौंह भरी बरुनी सुथरी अतिसै अधरानि रंगी रंग रातौ। Read More
1. बहके, सब जिय की कहत, ठौरु…
मुखपंकज, कंजबिलोचन मंजु, मनोज-सरासन-सी बनीं भौंहैं। Read More
मैन मनोहर बैन बजै सु सजे तन सोहत पीत पटा है। Read More
राधेय सान्ध्य पूजन में ध्यान लगाये,था खड़ा…
राम सरासन तें चले तीर रहे न सरीर हड़ावरि फूटीं। Read More
1. जसु अपजसु देखत नहीं देखत साँवल-गात। Read More
लोक की लाज तजी तबहीं जब देख्यो सखी ब्रजचन्द सलोनो। Read More
सर चारिक चारु बनाइ कसें कटि, पानि सरासनु सायकु…
साँवरे-गोरे सलोने सुभायँ, मनोहरताँ जिति मैनु लियो…
सुन्दर बदन, सरसीरुह सुहाए नैन, …
सोहत है चँदवा सिर मौर के जैसियै सुन्दर पाग कसी…